अनुसंधानकर्ता आघात, मस्तिष्क की चोट और पार्किंसन के इलाज के लिए संगीत का रुख क्यों कर रहे हैं

By भाषा | Updated: November 21, 2021 11:19 IST2021-11-21T11:19:22+5:302021-11-21T11:19:22+5:30

Why researchers are turning to music to treat stroke, brain injury and Parkinson's | अनुसंधानकर्ता आघात, मस्तिष्क की चोट और पार्किंसन के इलाज के लिए संगीत का रुख क्यों कर रहे हैं

अनुसंधानकर्ता आघात, मस्तिष्क की चोट और पार्किंसन के इलाज के लिए संगीत का रुख क्यों कर रहे हैं

(रेबेका एटकिन्सन, डॉक्टरल रिसर्चर इन न्यूरोलॉजिक म्यूजिक थेरेपी, बाइटन विश्वविद्यालय)

ब्राइटन (ब्रिटेन), 21 नवंबर (द कन्वरसेशन) जब आप अपना पसंदीदा गाना सुन रहे होते हैं, तो शायद आपको यह अहसास नहीं होता, लेकिन संगीत मानव मस्तिष्क पर अविश्वसनीय रूप से जोरदार असर डालता है।

गायन, वाद्य यंत्र बजाने या संगीत सुनने से मस्तिष्क के वे विभिन्न हिस्से एक साथ सक्रिय होते हैं, जो बोलने, चलने-फिरने, याद करने और भावनाओं को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। उल्लेखनीय रूप से अनुसंधान से यह भी पता चलता है कि संगीत केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के एक अहम घटक ‘ब्रेन मैटर’ को बढ़ा सकता है जिससे मस्तिष्क को खुद मरम्मत करने में मदद मिल सकती है।

यह बात और दिलचस्प है कि संगीत का असर उन मामलों में भी हो सकता है, जहां मस्तिष्क उस तरह काम न कर रहा हो, जैसा उसे करना चाहिए। उदाहरण के लिए अध्ययन दिखाते हैं कि अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के लिए संगीत ऐसी प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है, जिससे मरीजों को उन बातों को याद करने में मदद मिल सकती है, जिन्हें वह भूल चुके हों। ऐसे भी सबूत है कि जिन मरीजों के मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया था और जिनकी बोलने की क्षमता चली गयी थी, वे भी संगीत के बजने पर गाना गा सकते हैं।

मस्तिष्क पर संगीत के जोरदार असर पर विचार करते हुए अनुसंधानकर्ता यह जांच कर रहे हैं कि क्या इसका इस्तेमाल विभिन्न तंत्रिका संबंधी बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है जैसे कि आघात, पार्किंसन बीमारी या सिर पर लगी चोट के कारण मस्तिष्क का ठीक तरीके से काम न करना। इनके इलाज के लिए ऐसा एक इलाज तंत्रिका संबंधी संगीत थेरेपी है।

तंत्रिका संगीत थेरेपी एक तरह से फिजियोथेरेपी या स्पीच थेरेपी की तरह काम करती है, जिसका मकसद मरीजों को लक्षणों से निपटने और उनके दैनिक जीवन में बेहतर तरीके से काम करने में मदद करना है। उदाहरण के लिए किसी दुर्घटना या आघात के बाद फिर से चलना सीख रहे मरीज थेरेपी सत्र के दौरान संगीत की धुन पर चल सकते हैं।

बात करना, चलना, सोचना :

अभी तक इस तरह की थेरेपी ने आघात के मरीजों को भाषा फिर से सीखने, चलना-फिरना सीखने और शारीरिक गतिविधि वापस हासिल करने में मदद की है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि क्या तंत्रिका संबंधी संगीत थेरेपी से अन्य विकार जैसे कि पार्किंसन बीमारी का इलाज किया जा सकता है। इस क्षेत्र में ज्यादातर अध्ययनों ने ‘रिदमिक एंट्रेनमेंट’ व्यायाम नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया, जो धुन के साथ तालमेल बैठाने की मस्तिष्क की क्षमता का इस्तेमाल करती है जैसे कि संगीत या धुन की एक खास गति पर चलना।

अध्ययनों में यह भी पता लगाया गया कि क्या इस तरह की थेरेपी से सिर पर लगी चोट के कारण मस्तिष्क के ठीक तरीके से काम न करने यानी ब्रेन इंजरी या ‘हंटिंगटन’ बीमारी से पीड़ित लोगों में संज्ञानात्मक दिक्कतों का इलाज किया जा सकता है।

इस तरह की स्थिति में तंत्रिका संबंधी संगीत थेरेपी दिमाग के उन हिस्सों को सक्रिय करने पर ध्यान केंद्रित करती है, जो क्षतिग्रस्त हो गए जैसे कि ‘प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स’ यानी मस्तिष्क का वह हिस्सा जो योजना बनाने, निर्णय लेने, समस्या का समाधान निकालने और खुद पर नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।

संगीत और मस्तिष्क :

ऐसा माना जाता है कि तंत्रिका संबंधी संगीत थेरेपी इसलिए काम करती है क्योंकि संगीत मस्तिष्क के कई अलग-अलग हिस्सों को सक्रिय कर सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि संगीत मस्तिष्क में नए जुड़ाव विशिष्ट तरीके से पैदा कर सकता है। संगीत सुनने से कोई ऑडियोबुक सुनने जैसी गतिविधियों के मुकाबले न्यूरॉन की मरम्मत बेहतर तरीके से होती है।

ऐसा माना जाता है कि संगीत का मस्तिष्क पर दीर्घकालीन असर पड़ता है। इसका इतना ज्यादा असर होता है कि एक संगीतकार का मस्तिष्क उन लोगों के मुकाबले असल में ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है जिन्होंने संगीत नहीं बजाया है। यह तंत्रिका संबंधी स्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि संगीत से समय बीतने पर उनके दिमाग के क्षतिग्रस्त हुए हिस्से की मरम्मत करने में मदद मिल सकती है।

हालांकि, तंत्रिका संबंधी संगीत थेरेपी का व्यापक पैमाने पर स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर इस्तेमाल किए जाने से पहले और शोध की आवश्यकता है लेकिन अध्ययनों के शुरुआती नतीजे दिखाते हैं कि यह थेरेपी कितनी कारगर साबित हो सकती है। यह पता लगाने के लिए भी अनुसंधान हो रहा है कि क्या इसका इस्तेमाल उम्र संबंधी बीमारियों जैसे कि डिमेंशिया या अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की मदद के लिए भी किया जा सकता है।

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Web Title: Why researchers are turning to music to treat stroke, brain injury and Parkinson's

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