उपकक्षीय उड़ान क्या है? एक एयरोस्पेस इंजीनियर ने किया स्पष्ट

By भाषा | Updated: July 11, 2021 12:36 IST2021-07-11T12:36:06+5:302021-07-11T12:36:06+5:30

What is suborbital flight? An aerospace engineer clarified | उपकक्षीय उड़ान क्या है? एक एयरोस्पेस इंजीनियर ने किया स्पष्ट

उपकक्षीय उड़ान क्या है? एक एयरोस्पेस इंजीनियर ने किया स्पष्ट

(जॉन एम होराक, नील आम्स्ट्रॉंग चेयर और प्रोफेसर, मैकेनिकल एंड एयरोस्पेस इंजीनियरिंगश्द ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी)

कोलंबस (अमेरिका), 11 जुलाई (द कन्वर्सेशन) ‘‘सब-ऑर्बिटल’’ यानी उपकक्षीय यह शब्द आप तब बहुत सुनेंगे जब सर रिचर्ड ब्रैंसन वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी के वीएसएस यूनिटी अंतरिक्ष यान से और जेफ बेजोस ब्लू ऑरिजिन के न्यू शेपर्ड यान से उड़ान भरेंगे ताकि वे अंतरिक्ष की सीमा को छू सकें और कुछ मिनटों तक भारहीनता का अनुभव कर सकें।

लेकिन ‘‘उपकक्षीय’’ असल में है क्या? इसका मतलब है कि ये यान अंतरिक्ष की अनिर्धारित सीमा को पार करेंगे लेकिन वे एक बार वहां पहुंचने के बाद अंतरिक्ष में रहने के लिए इतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ेगे।

अगर कोई अंतरिक्ष यान 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक की गति से पहुंचता है तो जमीन पर गिरने के बजाय वह लगतार पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटता रहेगा। वह अंतरिक्ष की कक्षा में चक्कर काटेगा और इसी तरह उपग्रह और चांद पृथ्वी के ऊपर रहते हैं।

कोई भी चीज जो अंतरिक्ष में भेजी जाती है अगर उसमें अंतरिक्ष में रहने के लिए पर्याप्त क्षैतिज वेग नहीं होता जैसे कि ये रॉकेट, तो वे वापस पृथ्वी पर आते हैं और इसलिए एक उपकक्षीय प्रक्षेपवक्र में उड़ते हैं।

ये उपकक्षीय उड़ान मायने क्यों रखती हैं।

जुलाई 2021 में प्रक्षेपित किए गए दो अंतरिक्ष यान कक्षा तक नहीं पहुंचेंगे लेकिन निजी अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष तक पहुंचना मानवता के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उपकक्षीय उड़ानों में सवार होने वाले लोग कुछ मिनटों के लिए अंतरिक्ष में रहेंगे, कुछ मिनटों तक भारहीनता का अनुभव करेंगे और बिल्कुल एक अंतरिक्षयात्री का अनुभव कर पाएंगे।

सैद्धांतिक रूप से ब्रैंसन और बेजोस जो उड़ान भरेंगे वो हवा में बेसबॉल फेंकने से ज्यादा अलग नहीं है।

जितनी तेजी से आप बेसबॉल को ऊपर फेंक सकते हो उतनी तेजी से यह ऊपर जाएगी और उतनी ही देर हवा में रहेगी।

कल्पना कीजिए कि आप किसी खुले मैदान में बेसबॉल फेंक रहे हैं। जैसे ही बॉल ऊपर जाती है तो फिर से धीरे-धीरे नीचे आती है। अंत में बॉल अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचेगी और फिर जमीन पर गिरेगी। अब कल्पना करिए कि आप बेसबॉल को संभवत: 97 किलोमीटर की ऊंचाई तक फेंक सकें तो यह अंतरिक्ष में पहुंच जाएगी। लेकिन जब बॉल अपनी अधिकतम ऊंचाई पर पहुंचती है तो इसमें शून्य वर्टिकल वेग होगा और यह पृथ्वी की ओर गिरना शुरू हो जाएगी।

अंतरिक्ष यान में कुछ मिनट लग सकते हैं और लगभग हर समय बॉल भारहीनता का अनुभव करेगी जैसे कि इन अंतरिक्ष यानों में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री अनुभव करते हैं। काल्पनिक बेसबॉल की तरह ही अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में पहुंच जाएंगे लेकिन कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे इसलिए उनकी उड़ान उपकक्षीय होगी।

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Web Title: What is suborbital flight? An aerospace engineer clarified

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