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रूढ़िवादियों की आपत्ति के बाद स्कूलों में योग पर लगे प्रतिबंध को हटाने से अमेरिकी राज्य का इनकार

By भाषा | Updated: April 1, 2021 18:23 IST

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वाशिंगटन, एक अप्रैल अमेरिकी राज्य अल्बामा ने योग संबंधी उस विधेयक को पारित होने से रोक दिया जिससे सरकारी स्कूलों में सदियों पुरानी लोकप्रिय भारतीय प्रथा पर दशकों से लगे प्रतिबंध को हटाने की संभावना बन रही थी। मीडिया में आई एक खबर के मुताबिक रूढ़िवादी समूहों की आपत्ति के बाद यह कदम उठाया गया जिन्हें भय है कि हिंदू धर्म के अनुयायी धर्मांतरण कर सकते हैं।

रूढ़िवादी समूहों के दबाव देने पर अलबामा शिक्षा बोर्ड ने 1993 में दक्षिणपूर्वी राज्य के सरकारी स्कूलों में योग के साथ ही सम्मोहन और ध्यान विधा को प्रतिबंधित करने के पक्ष में मतदान किया था।

पिछले साल मार्च में, अलबामा प्रतिनिधि सभा ने ‘योग विधेयक’ को 17 के मुकाबले 84 मतों से पारित किया था।

इस विधेयक को मंजूरी के लिए फिर राज्य की सीनेट में लाया गया जिससे इसके कानून बनने और स्कूलों में 28 वर्ष के प्रतिबंध को समाप्त करने का रास्ता साफ हुआ था।

हालांकि, टस्कलूसान्यूज डॉट कॉम की खबर के मुताबिक सीनेट न्यायिक समिति ने अलबामा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रॉय मूरे के फाउंडेशन फॉर मॉरल लॉ के प्रतिनिधियों समेत अन्य ईसाई रूढ़िवादियों की गवाही के बाद इस विधेयक को रोक दिया जिसमें दावा किया गया कि हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा सरकारी स्कूलों में इससे धर्मांतरण बढ़ेगा।

विधेयक का विरोध करते हुए, रूढ़िवादी कार्यकर्ता बेक्की गेरिटसन ने कहा कि योग हिंदू धर्म का बड़ा हिस्सा है।

खबर में कहा गया कि इसाई समूह विधेयक का यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि इससे स्कूलों में हिंदू धर्म व्यवहार में आ जाएगा।

वहीं, विधेयक को पेश करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक जेरेमी ग्रे ने इस धारणा का खंडन किया कि हिंदू धर्म के अनुयायी इससे धर्मांतरण करने लगेंगे।

खबर में उनके हवाले से कहा, “मैं तकरीबन 10 साल से योग कर रहा हूं। मैंने पांच साल तक कक्षाओं में योग सिखाया है और मैं आपको बताता हूं कि मैं अब भी हर रविवार बैप्टिस्ट चर्च जाता हूं।”

इस विधेयक का लक्ष्य अलबामा के सरकारी स्कूलों में योग को एक ऐच्छिक विषय के तौर पर चुनने का विकल्प देना था।

अलबामा राज्य शिक्षा बोर्ड ने 1993 में सरकारी स्कूलों में योग को दक्षिणपंथी संगठनों के उन आरोपों के बीच प्रतिबंधित कर दिया था जिनमें कहा गया था कि स्कूलों में सम्मोहन एवं ध्यान लगाने की तकनीकों को प्रयोग किया जा रहा है।

इस बीच, खबर है कि सीनेट न्यायिक समिति के अध्यक्ष टॉम व्हाटले फिर से मतदान पर विचार करने और विधेयक को फिर से पेश करने पर तत्काल सहमत हो गए हैं जिसका मतलब है कि इस विधेयक पर फिर से मतदान हो सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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