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मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अमेरिका ने दो श्रीलंकाई सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया

By भाषा | Updated: December 11, 2021 15:49 IST

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कोलंबो, 11 दिसंबर अमेरिका ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए श्रीलंका के दो सैन्य अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों का अपने यहां प्रवेश निषेध कर दिया है। इन सैन्य अधिकारियों में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे द्वारा क्षमादान दिया गया एक ‘हत्या अपराधी’ भी शामिल है।

नौसेना अधिकारी चंदना हेत्तियाराची और श्रीलंकाई सेना के पूर्व स्टाफ सर्जेंट सुनील रत्नायके उन 12 देशों के कई अधिकारियों में शामिल थे, जिन्हें अमेरिका ने “मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन” के लिए प्रतिबंधित किया था।

अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर जारी एक बयान में कहा, “2008 से 2009 तक कम से कम आठ 'ट्रिंकोमाली 11' पीड़ितों की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन में हेत्तियाराची शामिल था।”

'त्रिंकोमाली 11' मामला त्रिंकोमाली जिले से 11 तमिल युवकों के अपहरण और हत्या से संबंधित है। एक समाचार वेबसाइट की खबर के अनुसार, कथित तौर पर जबरन वसूली के लिए उनका अपहरण करने के बाद उन्हें नौसेना की हिरासत में मार दिया गया था।

बयान में कहा गया है कि रत्नायके “दिसंबर 2000 में कम से कम आठ तमिल ग्रामीणों की न्यायेतर हत्याओं” में शामिल था। श्रीलंका की अदालत ने आठ तमिल नागरिकों की हत्या के लिए रत्नायके को मृत्युदंड दिया था, जिसे उसने 2019 में शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने रत्नायके की अपील खारिज करते हुए सजा बरकरार रखी थी। हालांकि राष्ट्रपति राजपक्षे ने पिछले साल रत्नायके को क्षमादान दिया था और जेल से उसकी रिहाई का आदेश दिया था।

अमेरिकी विदेश विभाग ने 2020 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ सशस्त्र संघर्ष के अंतिम चरण के दौरान 2009 में किए गए युद्ध अपराधों के आरोपों पर वर्तमान श्रीलंकाई सेना प्रमुख जनरल शैवेंद्र सिल्वा पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।

लिट्टे ने एक अलग तमिल राष्ट्र बनाने के लिए श्रीलंकाई सरकार के साथ युद्ध छेड़ दिया था और सरकारी बलों द्वारा लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन को मार गिराये जाने के बाद 2009 में संघर्ष समाप्त हो गया था।

श्रीलंका सरकार के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर और पूर्व में लिट्टे के साथ तीन दशक के भीषण युद्ध सहित विभिन्न संघर्षों के कारण 20,000 से अधिक लोग लापता हुए हैं, जिनमें से कम से कम 100,000 लोग मारे गए थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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