अमेरिका पाकिस्तान को केवल अफगानिस्तान में ‘‘गड़बड़ी’’ से निपटने के लिए उपयोगी समझता है: इमरान खान

By भाषा | Updated: August 12, 2021 14:39 IST2021-08-12T14:39:31+5:302021-08-12T14:39:31+5:30

US considers Pakistan useful only to deal with "disturbance" in Afghanistan: Imran Khan | अमेरिका पाकिस्तान को केवल अफगानिस्तान में ‘‘गड़बड़ी’’ से निपटने के लिए उपयोगी समझता है: इमरान खान

अमेरिका पाकिस्तान को केवल अफगानिस्तान में ‘‘गड़बड़ी’’ से निपटने के लिए उपयोगी समझता है: इमरान खान

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 12 अगस्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि वह पाकिस्तान को केवल उस ‘‘गड़बड़ी’’ से निपटने के लिए ‘‘उपयोगी’’ समझता है जो उसने 20 साल की लड़ाई के बाद अफगानिस्तान में पीछे छोड़ी है और जब ‘‘रणनीतिक साझेदारी’’ बनाने की बात आती है, तो वह भारत को प्राथमिकता देता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से अमेरिकी एवं नाटो बलों की वापसी की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद अफगानिस्तान में हिंसा में खासी बढ़ोतरी देखी गई है।

खान ने बुधवार को यहां विदेशी पत्रकारों से कहा, ‘‘पाकिस्तान को केवल उस गड़बड़ी से निपटने के संदर्भ में उपयोगी समझा जाता है, जो सैन्य समाधान खोजने की कोशिश के 20 साल बाद पैदा हुई है।’’

खान ने संवाददाता सम्मेलन में मौजूद एक पत्रकार से कहा कि अमेरिका ने जब से भारत के साथ ‘‘रणनीतिक साझेदारी करने का फैसला किया है, वह पाकिस्तान के साथ अलग व्यवहार कर रहा है।

पाकिस्तान इस बात से नाराज है कि बाइडन ने जनवरी में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद से प्रधानमंत्री खान से बातचीत नहीं की है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने हाल में इस बात पर निराशा व्यक्त की थी कि अफगानिस्तान जैसे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस्लामाबाद को महत्वपूर्ण देश मानने के बावजूद प्रधानमंत्री खान से संपर्क करने को लेकर राष्ट्रपति बाइडन अनिच्छुक हैं।

युसूफ ने कहा था कि अगर अमेरिकी नेता देश के नेतृत्व की अनदेखी करते रहे, तो इस्लामाबाद के पास अन्य ‘‘विकल्प’’ हैं।

हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया है कि अमेरिका अफगानिस्तान में शांति बहाल करने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और चाहता है कि पाकिस्तान वह भूमिका निभाए। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इस सप्ताह पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से फोन पर बात की और अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की।

इस वार्ता के बाद पेंटागन ने बताया कि अमेरिका ने पाकिस्तान के नेतृत्व से अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के पास तालिबान आतंकियों की पनाहगाहों को खत्म करने की आवश्यकता पर बात की है, क्योंकि इन सुरक्षित ठिकानों से अफगानिस्तान में और ज्यादा असुरक्षा और अस्थिरता पैदा हो रही है। अफगानिस्तान और अमेरिका तालिबान लड़ाकों को पनाह देने और अन्य सहायता मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते रहे हैं।

प्रधानमंत्री खान ने विदेशी पत्रकारों से कहा कि अफगानिस्तान की समस्या का राजनीतिक समाधान निकालना मुश्किल है, क्योंकि तालिबान काबुल सरकार से तब तक बात नहीं करना चाहता, जब तक राष्ट्रपति अशरफ गनी के हाथ में नेतृत्व है।

उन्होंने कहा कि तालिबान के नेताओं ने उन्हें एक यात्रा के दौरान कहा था कि गनी सरकार एक कठपुतली है। खान ने तालिबान नेताओं से हवाले से कहा, ‘‘स्थिति यह है कि जब तक अशरफ गनी वहां है, हम (तालिबान) अफगान सरकार से बात नहीं करेंगे।’’

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की जल्दबाजी में वापसी पर खान ने कड़ा रुख अपनाया है। अमेरिकी बलों की वापसी से अफगानिस्तान में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। खान ने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान वापसी के बाद अमेरिकी सेना को ठिकाने मुहैया नहीं कराएगा, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका ने इसके लिए औपचारिक रूप से आग्रह किया है या नहीं।

पाकिस्तान ने कहा है कि उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल संकट का राजनीतिक समाधान खोजने की खातिर अमेरिका और अफगान सरकार के साथ बातचीत के लिए तालिबान पर दबाव डालने के लिए किया है। खान ने अमेरिकी मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए पिछले महीने कहा था कि अमेरिका ने ‘‘वहां (अफगानिस्तान में) चीजें वाकई अस्त-व्यस्त कर दी है।

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