दुनिया भर में कोरोना से हाहाकार, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार गरीब देशों में वायरस से लड़ने के लिए इतने अरब डॉलर की है दरकार
By भाषा | Published: May 8, 2020 01:48 PM2020-05-08T13:48:53+5:302020-05-08T13:48:53+5:30
दुनिया भर में कोरोना वायरस का प्रकोर जारी है। अमेरिका और यूरोप के समृद्ध देश भी इसके सामने घुटने टेक चुके हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कमजोर देशों में कोरोना को लेकर चिंता जताई है।
संयुक्त राष्ट्र ने कमजोर देशों में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में जरूरी चीजों के लिए सरकारों, कंपनियों और अरबपतियों से 6.7 अरब डॉलर की निधि दान देने की अपील की है। एजेंसी ने आगाह किया है मदद करने में विफल रहने पर “भुखमरी की वैश्विक महामारी”, अकाल, दंगे और अधिक संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रमुख मार्क लोकॉक ने कहा, “कोविड-19 से अब हर देश और धरती पर हर व्यक्ति प्रभावित है।’’
उन्होंने कहा कि 25 मार्च को संयुक्त राष्ट्र की ओर से की गई दो अरब डॉलर की शुरुआती अपील को इसलिए बढ़ाया गया क्योंकि आय कम होने और नौकरियां जाने, खाद्य आपूर्ति घटने तथा कीमतों के बढ़ने और बच्चों को भोजन न मिलने एवं उनका टीकाकरण न होने के साक्ष्य पहले से ही मिलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे गरीब देशों में अगले तीन से छह महीने तक वैश्विक महामारी के शीर्ष पर पहुंचने की आशंका नहीं है।
लोकॉक ने नयी अपील करने से पहले वीडियो जारी कर कहा कि सबसे गरीब देश “दोहरी मार’’ झेल रहे हैं - एक कोविड-19 का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव और दूसरा “वायरस की रोकथाम के लिए उठाए गए घरेलू कदमों और वैश्विक मंदी के प्रभाव।”
उन्होंने आगाह किया, “हमें अर्थव्यवस्थाओं के सिकुड़ने, आयात से होने वाली कमाई घटने, भेजी हुई रकमों के कम होने, पर्यटन क्षेत्र में संकुचन और स्वास्थ्य तंत्रों में दबाव के चलते संघर्ष, भुखमरी, गरीबी और बीमारियां फैलने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “लॉकडाउन और आर्थिक मंदी का मतलब है कि आगे लाखों लोगों के लिए भुखमरी की वैश्विक महामारी फैलने वाली है।” विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बिस्ले ने कहा कि साल के अंत तक 26.5 करोड़ लोग भुखमरी के कगार पर न पहुंच जाएं, इसे रोकने के दो अहम तरीके हैं - पहला पैसा उपलब्ध कराना और दूसरा आपूर्ति की कड़ियों का सुचारू रूप से चलते रहना।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हमेशा से समृद्ध देशों से दान देने की अपील करता रहा है। वैश्विक महामारी “एक बार होने वाली घटना है, एक आपदा जिसकी तरफ हम बढ़ रहे हैं’’ इसलिए अमीर देशों एवं अमीर कंपनियों से दान देने की अपील करना अकारण नहीं है।