कोरोना वैक्सीन में सुअर के इस्तेमाल पर आपत्ति नहीं, UAE के इस्लामिक बॉडी ने कहा- मुस्लिम भी ले सकते हैं
By विनीत कुमार | Published: December 23, 2020 03:58 PM2020-12-23T15:58:15+5:302020-12-23T16:12:56+5:30
कोरोना वायरस टीकों में सुअर के मांस के जिलेटिन के इस्तेमाल होने पर भी यूएई की शीर्ष इस्लामी निकाय 'यूएई फतवा काउंसिल' इसे मुसलमानों के लिये जायज करार दिया है।
कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच कई देशों में वैक्सीन देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बीच कुछ वैक्सीन को लेकर विवाद भी सामने आए। तमाम अटकलों के बीच संयुक्त अरब अमीरत (UAE) की सर्वोच्च इस्लामिक संस्था यूएई फतवा काउंसिल ने अहम बात कही है।
यूएई फतवा काउंसिल ने कहा है कि अगर कोरोना के वैक्सीन में सुअर से बने जेलेटिन का इस्तेमाल हुआ है तो भी उसे मुस्लिम ले सकते हैं।
यूएई फतवा काउंसिल की ओर से ये अहम टिप्पणी उस समय आई है जब ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि आमतौर पर कई तरह से वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाला सूअर से बने जेलेटिन के कारण कई मुस्लिम इसे लेने से इनकार कर सकते हैं।
दरअसल इस्लामिक कानून में सुअर के मांस के किसी भी रूप में इस्तेमाल को हराम माना गया है। इसका इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
बहरहाल, काउंसिल के चेयरमेन शेख अब्दुल्ला बिन बय्या ने कहा कि कोरोना वैक्सीन पर इस्लाम में सुअर को लेकर लगाए गए प्रतिबंध मान्य नहीं होंगे। अब्दुल्ला बिन ने कहा कि इससे समय 'मानव शरीर को बचाना' सबसे बड़ी जरूरत है।
काउंसिल ने आगे कहा कि इस मामले में सुअर की जेलेटिन दवा के रूप में इस्तेमाल की जा रही है न कि किसी खाने को तौर पर। साथ ही कहा गया कि कई वैक्सीन पूर्व में उन संक्रामक वायरस के खिलाफ खिलाफ काफी प्रभावी पाई गई हैं, जिन्होंने पूरे समाज को खतरे में डाला है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से दुनियाभर के इस्लामिक धर्मगुरुओं के बीच इस बात को लेकर असमंजस है कि अगर कोरोना के वैक्सीन में सुअर का मांस इस्तेमाल किया गया है तो उसे लिया जाना चाहिए या नहीं।
हालांकि, फाइजर सहित मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि उनके कोविड-19 टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। वहीं, वैक्सीन बनाने में कुछ कंपनियो ने अभी इस बारे में कुछ साफ नहीं किया है।