आज ही शुरू हुआ था पहला विश्व युद्ध, 74 हजार भारतीय सैनिकों ने जान देकर दिलायी ब्रिटेन को जीत
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 28, 2018 08:09 AM2018-07-28T08:09:17+5:302018-07-28T08:09:17+5:30
Today in History, 28th July: पहले विश्व युद्ध में 74 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक यूरोप, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में ब्रिटेन के लिए लड़ते हुए मारे गये थे।
दुनिया ने 20वीं सदी से पहले अनगिनत युद्ध देखे थे लेकिन नई सदी की शुरुआत में एक ऐसी लड़ाई छिड़ गयी जैसी संसार में पहले कभी नहीं देखी गयी थी। इस लड़ाई में शामिल होने वाली ताकतों और उसमें होने वाले नुकसान की वजह से इसे दुनिया का पहला विश्व युद्ध कहा गया। 28 जुलाई 1914 को शुरू हुए युद्ध को दुनिया का पहला विश्व युद्ध माना जाता है। दो देशों के बीच शुरू हुए इस युद्ध में एक-एक कर 30 देश शामिल हो गये। ये युद्ध करीब चार साल 1918 में ख़त्म हुआ। पहली आलमी जंग जिन दो खेमों के बीच हुई उन्हें अलाइज फोर्सेज और सेंट्रल पावर्स के बीच हुई। अलाइज फोर्सेज में सर्बिया, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और अमेरिका जैसे देश थे। सेंट्रल पावर्स में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया और ओटोमन साम्राज्य (तुर्की इत्यादि) शामिल थे।
कैसे शुरू हुआ पहला विश्व युद्ध
सर्बिया और आस्ट्रिया के बीच कई सालों से तनाव जारी था। तुर्की के ओटोमन साम्राज्य का यूरोप के बाल्कन क्षेत्र के कई देशों पर कब्जा था। ये देश ओटोमन साम्राज्य से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। 1912 और 1913 में हुए बाल्कन क्षेत्र के देश आपस में युद्ध कर चुके थे। युद्ध रुकने के बाद भी सर्बिया और आस्ट्रिया-हंगरी के बीच तनाव खत्म नहीं हुआ था। 28 जून 1914 को आस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के वारिस आर्कड्यूक फ्रैंज फर्डीनांड और उनकी बीवी को एक सर्बियाई आतंकवादी ने गोली मारकर हत्या कर दी। उस वक्त किसी को भी इस बाद का अंदेशा नहीं थी कि ये हत्या विश्व इतिहास के सबसे बड़े युद्ध की नींव रखने जा रही है।
आस्ट्रिया-हंगरी ने ड्यूक की हत्या को अपने साम्राज्य पर हमला माना। ऑस्ट्रिया-हंगी ने जर्मनी का समर्थन हासिल करने के बाद 28 जुलाई 1914 को सर्बिया पर हमला कर दिया। हमला होते ही रूस सर्बिया की रक्षा के लिए आगे आ गया। रूस के युद्ध में कूदते ही फ्रांस भी सर्बिया के सपोर्ट में मैदान में आ गया। दूसरी तरफ जर्मनी ने एक अगस्त 1914 को रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। जर्मनी ने तीन अगस्त 1914 को फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। बेल्जियम युद्ध में शामिल नहीं होना चाहता था लेकिन जर्मनी ने उसे मजबूर किया कि वो या तो उसक साथ दे या युद्ध लड़े। बेल्जयिम के दूसरी तरफ फ्रांस था।
बेल्जियम कोई फैसला करता इससे पहले ही जर्मनी ने उसपर हमला कर दिया। उस समय दुनिया की सबसी बड़ी ताकत माने जाने वाले ब्रिटेन को लगा कि अगर जर्मनी युद्ध में जीत गया तो पूरे विश्व में उसका दबदबा हो जाएगा। ब्रिटेन ने जर्मनी को बेल्जियम से सेना वापस हटाने के लिए चेतावनी दी जिसका कोई असर नहीं हुआ। चार अगस्त 2014 को ब्रिटिश फौज जर्मनी के खिलाफ युद्ध में उतर गयी। युद्ध शुरू होने के तीन साल बाद 1917 में संयुक्त राज्य अमेरिका भी अलाइड फ्रोसेज की तरफ से युद्ध में कूद गया। आखिरकार जर्मनी और ऑस्ट्रिया इत्यादि की हार हुई।
पहले विश्व युद्ध का असर
पहले विश्व युद्ध में करीब 65 लाख लोग शामिल हुए। प्रथम विश्व युद्ध में करीब एक करोड़ 80 लाख लोग मारे गये। दो करोड़ 30 लाख लोग घायल हुए। मरने वालों में सैनिकों के अलावा आम नागरिक भी बड़ी तादाद में थे। मानव इतिहास में कभी भी इस पैमाने पर हिंसा नहीं हुई थी। इस युद्ध में 40 लाख राइफलें, दो लाख 50 हजार मशीनगन, 52 हजार एयरोप्लेन, 2800 टैंकों का इस्तेमाल हुआ था। पहले विश्व युद्ध के चार सालों में करीब 25 हजार आर्टिलरी पीसेज का इस्तेमाल हुआ और 17 करोड़ राउण्ड गोलियाँ चलायी गयीं। एक करोड़ 60 लाख जानवरों का पहले विश्व युद्ध में इस्तेमाल हुआ था।
प्रथम विश्व युद्ध ने यूरोप और एशिया की भूराजनीति को पूरी तरह बदल दिया। पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी, रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी और तुर्की के साम्राज्य नष्ट हो गये। रूस में 1919 में व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में हुई बोल्शेविक क्रांति के के लिए भी प्रथम विश्व युद्ध को जिम्मेदार माना जाता है। पहले विश्व युद्ध के बाद अमेरिका दुनिया की बड़ी ताकत बनकर सामने आया। पहले विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन निर्विवाद रूप से दुनिया की सबसे बड़ी ताकत था। पहले विश्व युद्ध के बाद अमेरिका तेजी से ताकत की दौड़ में आगे निकला वहीं ब्रिटेन के हाथ से अगले तीन दशकों में कई बड़े उपनिवेश निकल गये जिनमें भारत जैसे देश शामिल हैं। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के बाद अमेरिका और रूस (तब यूएसएसआर) दोनों के दो ध्रुवों के रूप में उभरे। बीसवीं सदी का उत्तरार्ध इन दोनों देशों के बीच शीत युद्ध का गवाह बना।
पहला विश्व युद्ध और भारत
पहले विश्व युद्ध के समय भारत पर ब्रिटेन का कब्जा था। ब्रिटेन के युद्ध में शामिल होते ही ब्रिटिश इंडियन आर्मी को भी युद्ध में कूदना पड़ा। ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अफसर ज्यादातर अंग्रेज थे लेकिन सैनिक भारतीय थे। पहले विश्व युद्ध में भारत के योगदान को लगभग भुला दिया जाता है जबकि इस युद्ध में 74 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक यूरोप, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में ब्रिटेन के लिए लड़ते हुए मारे गये थे। घायल सैनिकों की संख्या इससे भी कहीं ज्यादा थी। माना जाता है कि जर्मन सेना को ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने ही हराया था। भारत ने पहले विश्व युद्ध में इस्तेमाल होने वाले जानवर भी उपलब्ध कराये थे। भारत द्वारा भेजे गये जूट का भी युद्ध के दौरान काफी इस्तेमाल हुआ।
भारतीयों ने पहले विश्व युद्ध में ब्रिटेन की जीत सुनिश्चित की लेकिन भारत को इसके बदले पुरस्कार की जगह दण्ड मिला। युद्ध के खर्च को वसूलने के लिए ब्रिटेन ने भारत में टैक्स बढ़ा दिये। इस दौरान भारत में भारी महामारी फैली जिसमें कई देशवासी मारे गये और ब्रितानियों ने इसकी परवाह नहीं की। भारतीय नेताओं को उम्मीद थी कि प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों के योगदान के बाद देश को डोमिनियन स्टेटस मिल जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
ब्रिटिश शासन ने 1931 में दिल्ली में प्रथम विश्व युद्ध में मिली जीत के प्रतीक के तौर पर नई दिल्ली में इंडिया गेट का निर्माण कराया। इंडिया गेट पर पहले विश्व युद्ध में मारे गये सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गयी है।
देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें. यूट्यूब चैनल यहां सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट।