अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा, चांद पर उतरने वाली पहली महिला अमेरिकी होगी
By सतीश कुमार सिंह | Updated: May 7, 2019 13:28 IST2019-05-07T12:50:29+5:302019-05-07T13:28:41+5:30
उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन को साल के समाप्त होने से पहले बहुत ही गर्व है और हम अमेरिकी धरती से अमेरिकी रॉकेटों पर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को एक बार फिर अंतरिक्ष में भेजेंगे।

2011 में अमेरिका का स्पेस शटल प्रोग्राम खत्म हो गया था। उसके बाद से एजेंसी अंतरिक्ष यात्रियों को आइएसएस पर भेजने के लिए रूस के सोयूज यान पर निर्भर है। 1972 के बाद से नासा ने चांद पर भी कोई मानव मिशन नहीं भेजा है।
अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने सोमवार को जोर देकर कहा कि पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर उतरने वाली सबसे पहली महिला अमेरिकी होगी। गौरतलब है कि अमेरिकाचंद्रमा पर दूसरा अंतरिक्ष मिशन भेजने की योजना बना रहा है।
यहां सेटेलाइट 2019 सम्मेलन को संबोधित करते हुए पेंस ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका अगले पांच साल के भीतर चंद्रमा पर वापस जाएगा और चंद्रमा पर उतरने वाली पहली महिला एवं अगला व्यक्ति अमेरिकी होगा।’’ उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन को साल के समाप्त होने से पहले बहुत ही गर्व है और हम अमेरिकी धरती से अमेरिकी रॉकेटों पर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को एक बार फिर अंतरिक्ष में भेजेंगे।
अंतरिक्ष के रहस्यों को पूरी तरह से सुलझाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नासा के अलावा जानकारी और मार्गदर्शन के लिए अमेरिकी सरकार के विशाल प्रयासों के अतिरिक्त काम को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम इस यूजर्स एडवाइजरीज ग्रुप इन द नेशनल स्पेस काउंसिल के लिए एकत्र हुए हैं, जिसके लिए मैं गौरव के साथ कह सकता हूं कि पूरे अंतरिक्ष उद्यम में नवाचार में तेजी लाने में मदद करने के लिए देश के कुछ प्रतिभाशाली और विलक्षण प्रतिभाओं को साथ लाया गया है।’’
वाशिंगटन डीसी में छह मई से चल रहे चार दिवसीय कार्यक्रम में भारत सहित 105 देशों के 15,000 से अधिक वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
अमेरिका करीब पांच दशक बाद चंद्रमा पर दोबारा मानव मिशन की तैयारी में जुटा
अमेरिका करीब पांच दशक बाद चंद्रमा पर दोबारा मानव मिशन की तैयारी में जुट गया है। वह अगले पांच साल में इस अभियान को पूरा करना चाहता है। अलबामा में नेशनल स्पेस काउंसिल की बैठक में उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा, 'बीती सदी के सातवें और आठवें दशक की तरह हम फिर अंतरिक्ष की होड़ में हैं। तब हमारे सामने सोवियत संघ था और अब चीन है। इसी कारण हमें 2024 तक चांद पर पहुंचना ही होगा।'
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अधिकारियों ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है। नासा के जिम ब्राइडेंस्टाइन ने कहा, 'हम चुनौती स्वीकार करते हैं। अब काम पर जुटने का समय है।' नासा इस समय अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आइएसएस) पर भेजने के लिए भी संघर्ष कर रहा है।
2011 में अमेरिका का स्पेस शटल प्रोग्राम खत्म हो गया था। उसके बाद से एजेंसी अंतरिक्ष यात्रियों को आइएसएस पर भेजने के लिए रूस के सोयूज यान पर निर्भर है। 1972 के बाद से नासा ने चांद पर भी कोई मानव मिशन नहीं भेजा है।
वह 2024 तक चांद की कक्षा में 'गेटवे' स्टेशन स्थापित करने और 2028 में मानव मिशन लांच करने की तैयारी में था। लेकिन पेंस की घोषणा के बाद उसके सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। पेंस ने कहा, 'हमें पांच साल में चांद पर अपनी उपस्थिति स्थापित करनी है। उसके तुरंत बाद मंगल ग्रह पर मानव मिशन भेजना है। इस मिशन में असफल होने को विकल्प नहीं है।'