संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की शुरुआत; जानिए इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

By भाषा | Updated: October 31, 2021 18:32 IST2021-10-31T18:32:49+5:302021-10-31T18:32:49+5:30

the start of the United Nations Climate Conference; Know some important facts related to it | संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की शुरुआत; जानिए इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की शुरुआत; जानिए इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

ग्लासगो, 31 अक्टूबर (एपी) स्कॉटलैंड के शहर ग्लासगो में रविवार से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के सर्वोत्तम उपायों पर चर्चा के लिये लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस सम्मलेन को सीओपी26 भी कहा जा रहा है।

तेरह नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन के बारे में कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

सीओपी क्या है?

सीओपी का पूर्ण अर्थ 'कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज' है। यह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर रूपरेखा तैयार करने के लिये आयोजित होने वाला सम्मेलन है। साल 1995 में पहली बार इसका आयोजन किया गया। पहले सम्मेलन से पूर्व साल 1992 में जापान के क्योतो शहर में एक बैठक हुई थी, जिसमें शामिल देशों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्धता जतायी थी। इन देशों ने साल 2015 के पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

छह साल पहले फ्रांस की राजधानी में हुए सम्मेलन में इस सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फ़ारेनहाइट) से नीचे रखने के लक्ष्य पर सहमति जतायी गई थी।

इस साल सम्मेलन के लिये 25 हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने पंजीकरण कराया है। ब्रिटिश अधिकारी आलोक शर्मा इसकी अध्यक्षता करेंगे।

'हाई लेवल सेगमेंट'

दुनिया भर के 100 से अधिक नेता सोमवार और मंगलवार को शिखर सम्मेलन की शुरुआत में भाग लेंगे, जिसे हाई लेवल सेगमेंट के रूप में जाना जाता है। इन नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन शामिल हैं।

इसके अलावा इसमें जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल भी शामिल होंगी जबकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की उम्मीद है।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और पोप फ्रांसिस ने ग्लासगो की अपनी यात्रा रद्द कर दी है, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो कार्यक्रम में व्यक्तिग रूप से शामिल नहीं होंगे, लेकिन वे वीडियो लिंक द्वारा भाषण दे सकते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी)

पेरिस समझौते ने ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया, लेकिन प्रत्येक देश को अपने स्वयं के उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को प्रस्तुत करने की छूट दी गई, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के रूप में जाना जाता है।

योजना का एक हिस्सा देशों के लिए नियमित रूप से समीक्षा करने और, यदि आवश्यक हो, पेरिस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने लक्ष्यों को अद्यतन करने के लिए था।

पेरिस सम्मेलन के पांच साल बाद सरकारों को अपने नए एनडीसी जमा करने की आवश्यकता थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण उस समय सीमा को चुपचाप एक साल पीछे धकेल दिया गया।

पेरिस नियम पुस्तिका

समझौते पर हस्ताक्षर होने के कुछ साल बाद देशों को तथाकथित पेरिस नियम पुस्तिका को अंतिम रूप देने की उम्मीद थी, लेकिन समझौते के कुछ तत्व अधूरे रह गए। इसमें यह बताया गया है कि कैसे देश अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पारदर्शी तरीके से एकत्र कर जानकारी देते हैं और वैश्विक कार्बन बाजारों को कैसे विनियमित करते हैं।

जलवायु वित्त

सीओपी26 में शीर्ष मुद्दों में एक सवाल यह है कि गरीब देश अक्षय ऊर्जा के पक्ष में सस्ते जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल का खर्च कैसे उठाएंगे। इस बात पर आम सहमति है कि जिन अमीर देशों का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है, उन्हें भुगतान करना होगा। हालांकि यह अब भी एक सवाल है कि उन्हें कितना भुगतान करना होगा।

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