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हाथ धोने की जरूरत अभी बाकी है मेरे दोस्त!

By भाषा | Updated: August 5, 2021 13:20 IST

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फिदेल्मा फिट्ज़पैट्रिक, आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज

डबलिन, पांच अगस्त (द कन्वरसेशन) महामारी की शुरुआत में कोरोनवायरस को नियंत्रित करने के लिए स्वच्छता को स्वास्थ्य उपायों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया था। लेकिन जैसे-जैसे इस बीमारी के हवा से फैलने के सबूत सामने आने लगे, सारा ध्यान मास्क और हाल ही में वेंटिलेशन पर चला गया।

दरअसल, कुछ लोगों का ध्यान बीमारी के सतह से फैलने की बजाय हवा के जरिए फैलने की तरफ इतनी तेजी से बदल गया है कि उनके लिए हाथों को बार बार और अच्छे से धोने जैसे स्वच्छता उपाय अब बेमानी हो गए हैं। द अटलांटिक के एक लेखक डेरेक थॉमसन ने इसे ‘‘हाइजिन थिएटर’’ का नाम दिया है, जिसे ऐसे उपायों के लिए प्रयोग किया जा रहा है, जो हमें सुरक्षित महसूस कराते हैं, लेकिन वास्तव में जोखिम को कम करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करते हैं’’।

तो क्या ये स्वच्छता उपाय वास्तव में हमें सुरक्षा की झूठी भावना दे रहे हैं? क्या ये सिर्फ समय और धन की बर्बादी है? और जब कोविड-19 का प्रसार मुख्यत: हवा के माध्यम से हो रहा है तो हम इन उपायों का पालन कर ही क्यों रहे हैं?

फ्लोरेंस नाइटिंगेल के दिनों से, स्वच्छता और विशेष रूप से हाथों की स्वच्छता को संक्रामक रोग के प्रसार को रोकने के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में मान्यता दी गई है। पिछले एक साल में, सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह में अन्य उपायों जैसे कि दूरी और मास्क पहनने के साथ-साथ कोविड संचरण के चक्र को तोड़ने के लिए हाथों की सफाई की सिफारिश की गई है।

यह समझाने पर कम ध्यान दिया गया है कि संक्रमण संचरण के लिए हाथ एक माध्यम के रूप में कैसे कार्य कर सकते हैं।

सार्स-कोव-2 अधिक प्रतिरोधी कोरोनावायरस में से एक है और हाल की समीक्षा के अनुसार यह कांच, स्टील और पॉलिमर तथा कागज दोनों पर 28 दिन तक जीवित रह सकता है। हम निश्चित नहीं है कि संक्रमण के लिए सार्स-कोव-2 की न्यूनतम कितनी मात्रा की जरूरत होती है, लेकिन हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि केवल कुछ सौ वायरस कण (जिन्हें ‘विरियन’’ कहा जाता है) एक अतिसंवेदनशील व्यक्ति को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त हैं। और हमारा चेहरा इन विषाणुओं के हमारे शरीर में प्रवेश करने का एक आसान रास्ता है।

कई संक्रमण तब शुरू होते हैं जब हम अपने मुंह, नाक या आंखों को छूते हैं। इस व्यवहार पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया कि लोग लगातार अपने चेहरे को छू रहे हैं। श्वसन वायरस, जैसे कि इन्फ्लूएंजा और सार्स-कोव-2, चूंकि मुख्य रूप से श्वसन तंत्र से बाहर निकलने वाले तरल कणों से फैलता है, दूषित हाथों से नाक, मुंह और आंखों को छूने से भी फैल सकता है।

ऐसा होने का जोखिम कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें हाथ के दूषित होने की मात्रा, हमारे नाक, आंख और मुंह से हाथ के संपर्क की दर और वायरस के स्ट्रेन की संक्रामकता शामिल हैं। यह वर्तमान में विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि नए प्रकार, जैसे कि डेल्टा, अधिक संक्रामकता और संप्रेषणीयता के साथ उभर रहे हैं।

चेहरे को छूने से श्वसन वायरस से संक्रमित होने की संभावना कोई नई अवधारणा नहीं है। हाल ही में, शोधकर्ताओं ने यूट्यूब पर सौ लोगों के सामान्य वीडियो देखे और बताया कि लोग एक घंटे में औसतन 22 बार अपने चेहरे को छूते हैं। यह संख्या पुरूषों में अधिक है और थकान तथा व्याकुलता के साथ बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि एक संक्रामक बीमारी की चपेट में आने के जोखिम को कम करने के लिए व्यक्तिगत व्यवहार को बदलना एक सरल और किफायती तरीका है।

सार्स-कोव-2 जैसे वायरस के लिए आंख, नाक और मुंह शरीर में प्रवेश का एक आसान मार्ग प्रदान करते हैं। जबकि श्वसन की बूंदों और वायुजनित प्रसार को कोविड प्रसार के मुख्य तंत्र के रूप में प्रदर्शित किया गया है, शोधकर्ता कोविड संक्रमण चक्र में सतहों और हाथों के सापेक्ष योगदान की जांच करना जारी रखते हैं।

और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड के सतह से होने वाले प्रसार से इंकार नहीं किया है। यहां तक ​​​​कि अगर यह केवल एक छोटे से संचरण के प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है, तो बड़ी संख्या का एक छोटा प्रतिशत (प्रति दिन लगभग पांच लाख नए मामले) अभी भी एक बड़ी संख्या है।

महत्वपूर्ण रूप से, शोधकर्ताओं को यह समझने की जरूरत है कि क्या चिंता के नए रूप अलग तरीके से व्यवहार करते हैं। स्वच्छता कोई थिएटर या नाटक नहीं है, यह संक्रामक रोग की रोकथाम और नियंत्रण का एक घटक है, और एक घटक जिस पर लोगों का नियंत्रण है। और, हमारे सभी संचारों पर कोविड का अधिग्रहण होने के बावजूद, अन्य संक्रामक रोग अभी भी फैलते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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