नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचंड धड़े ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया

By भाषा | Updated: February 3, 2021 20:46 IST2021-02-03T20:46:03+5:302021-02-03T20:46:03+5:30

The fierce faction of the Communist Party of Nepal called for a nationwide strike on Thursday | नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचंड धड़े ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचंड धड़े ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया

(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, तीन फरवरी नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ एवं माधव कुमार नेपाल की अध्यक्षता वाले गुट ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नीत सरकार के खिलाफ बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने बुधवार को कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न संवैधानिक संस्थानों में नियुक्त नए सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाने के सरकार के कदम का विरोध करने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के गुट ने हड़ताल का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि हड़ताल के दौरान यातायात सेवा, बाजार, शिक्षण संस्थाएं बंद रहेंगी।

राजधानी काठमांडू के बाहरी इलाके परीसडंडा स्थित पार्टी कार्यालय में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में श्रेठ ने दावा किया कि हड़ताल शांतिपूर्ण होगी।

उल्लेखनीय है कि बुधवार की सुबह मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की उपस्थिति में करीब चार दर्जन लोगों को विभिन्न संवैधानिक निकायों के लिए पद की शपथ दिलाई।

संसद के भंग होने के बाद संवैधानिक निकायों के लिए निवनियुक्त सदस्यों ने सामान्य प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए संसदीय सुनवाई के बिना पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

श्रेष्ठ ने विभिन्न संवैधानिक निकायों में पदाधिकारियों एवं सदस्यों की ओली सरकार द्वारा नियुक्ति को अंसवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सरकार की अधिनायकवादी प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता है।

प्रधानमंत्री ओली द्वारा हाल में मंत्रिमंडल में किए गए फेरबदल की इशारा करते हुए श्रेष्ठ ने कहा कि कार्यवाहक सरकार को नई नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है और न ही मंत्रिमंडल में फेरबदल करने का।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के असंवैधानिक कदम के विरोध में हम सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं।’’

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 20 दिसंबर को नेपाल में राजनीतिक संकट की स्थिति उस समय उत्पन्न हो गई जब चीन समर्थक माने जाने वाले 68 वर्षीय ओली ने स्तब्ध करने वाला कदम उठाते हुए संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी। उन्होंने यह कदम प्रचंड के साथ चल रहे सत्ता संघर्ष की वजह से उठाया।

ओली द्वारा 275 सदस्यीय सदन को भंग करने के फैसले से नेपाल के कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े धड़े द्वारा विरोध शुरू हो गया जिसका नेतृत्व पार्टी के सह अध्यक्ष प्रचंड कर रहे हैं।

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