यूएनजीए में तालिबान के भाग लेने की संभावना नहीं, अपदस्थ सरकार के राजनियक अब भी पद पर काबिज
By भाषा | Updated: September 23, 2021 19:37 IST2021-09-23T19:37:26+5:302021-09-23T19:37:26+5:30

यूएनजीए में तालिबान के भाग लेने की संभावना नहीं, अपदस्थ सरकार के राजनियक अब भी पद पर काबिज
संयुक्त राष्ट्र/इस्लामाबाद, 23 सितंबर अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी की निर्वाचित सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के बाद वहां शासन कर रहे तालिबान के संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय सत्र में देश का प्रतिनिधित्व करने की संभावना नहीं है। दरअसल, अपदस्थ शासन के प्रतिनिधि अब भी संयुक्त राष्ट्र में पद पर काबिज हैं। पाकिस्तानी मीडिया की एक खबर में बृहस्पतिवार को यह दावा किया गया।
अफगानिस्तान के 27 सितंबर को यूएनजीए के जारी सत्र को संबोधित करने का कार्यक्रम है।
तालिबान नियंत्रित अफगान विदेश मंत्रालय ने 20 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को एक पत्र भेजा था, जिसमें उनसे न्यूयार्क में 76 वें यूएनजीए सत्र में भाग लेने देने का अनुरोध किया गया था।
पत्र पर तालिबान नेता अमीर खान मुत्ताकी के नये अफगान विदेश मंत्री के तौर पर हस्ताक्षर हैं।
गुतारेस ने 15 सितंबर को मौजूदा मान्यता प्राप्त अफगान राजदूत गुलाम इसाकजई का एक पत्र प्राप्त किया था, जिसमें कहा गया था कि वह और उनकी टीम के अन्य सदस्य संयुक्त राष्ट्र में अफगान मिशन में अब भी हैं और यूएनजीए में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे।
मंगलवार को, वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा संबोधित यूएनजीए सत्र में शरीक हुए।
डॉन अखबार ने एक राजनयिक सूत्र के हवाले से कहा है, ‘‘संबद्ध समिति के कोई फैसला करने तक वे मिशन में बने रहेंगे।’’
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने दोनों पत्र प्राप्त होने की पुष्टि की है।
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता के मुताबिक अफगान नेता मुत्ताकी ने कहा है कि अफगान राष्ट्रपति गनी को 15 अगस्त को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और इसलिए पूर्ववर्ती सरकार के दूत अब अफगानिस्तान का नेतृत्व नहीं करते हैं।
अखबार ने कहा है कि इस बारे में फैसले लेने वाली यूएनजीए की मान्यता देने वाली नौ सदस्यीय समिति के 27 सितंबर से पहले बैठक करने की संभावना नहीं है और यदि यह हो भी जाती है तो भी वह शेष दो-तीन दिनों में विवाद का समाधान नहीं कर सकती।
खबर में कहा गया है कि गुतारेस के कार्यालय ने दोनों पत्रों को समिति के पास भेज दिया है।
इसमें कहा गया है कि समिति के सदस्य देश में शामिल अमेरिका, वैध अफगान सरकार के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने देने के तालिबान के अनुरोध को स्वीकृति देने की जल्दबाजी में नहीं है।
अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक वे तालिबान के अनुरोध से अवगत हैं लेकिन इस पर चर्चा किये जाने में कुछ वक्त लगेगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि तालिबान के प्रतिनिधि 27 सितंबर को यूएनजीए को संबोधित नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि तालिबान ने पिछली बार जब 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान पर शासन किया था, जब संयुक्त राष्ट्र ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी थी।
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