तालिबान की भारत को उकसाने की कोशिश! 'पानीपत' रखा अपनी नई सैन्य टुकड़ी का नाम
By विनीत कुमार | Published: February 15, 2022 03:14 PM2022-02-15T15:14:40+5:302022-02-15T18:41:34+5:30
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार ने भारत विरोधी मानसिकता को दिखाते हुए अपनी नई सैन्य टुकडी का नाम 'पानीपत' रखने का फैसला किया है।
नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान ने भारत को उकसाने जैसी कार्रवाई करते हुए एक नई विशेष सैन्य टुकड़ी बनाने का फैसला किया है। तालिबान द्वारा इस सैन्य टुकड़ी का नाम 'पानीपत' रखा जाएगा। पानीपत हरियाणा का एक जिला है जहां पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में लड़ी गई थी।
इस लड़ाई में उस समय के अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली ने मराठा सेना को हरा दिया था। माना जा रहा है कि तालिबान इसी ऐतिहासिक घटना के संदर्भ में भारत पर तंज कसने और उसे चिढ़ा की कोशिश कर रहा है।गौरतलब है कि हाल में कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच भी तालिबान एक प्रवक्ता इनामुल्ला समनगनी की प्रतिकिया आई थी। उन्होंने कर्नाटक में हिजाब के लिए मुस्लिम लड़कियों के समर्थन की बात कही थी।
तालिबान के प्रवक्ता ने ट्वीट किया था, 'भारतीय मुस्लिम लड़कियों का हिजाब के लिए संघर्ष यह दर्शाता है कि हिजाब एक अरब, ईरानी, मिस्र या पाकिस्तानी संस्कृति नहीं है, बल्कि एक इस्लामी मूल्य है, जिसके लिए दुनिया भर की मुस्लिम लड़कियां विशेष रूप से धर्मनिरपेक्ष देशों में, तमाम तरह के बलिदान के साथ अपने धार्मिक मूल्य की रक्षा करती हैं।'
अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत में तैनात होगी नई टुकड़ी
सामने आई जानकारी के अनुसार तालिबान की 'पानीपत यूनिट' की तैनाती अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार में की जाएगी। इस प्रांत की सीमा पाकिस्तान से लगती है। तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था। उस समय अमेरिकी सेना वहां से वापसी कर रही थीं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार काबुल आधारित एक मीडिया वेबसाइट 'आमज न्यूज' (Aamaj News) की ओर से संबंध में ट्वीट कर जानकारी दी गई है। इतिहासकारों के अनुसार पानीपत की तीसरी लड़ाई में लगभग 60 से 70 हजार लोग मारे गए थे। साथ ही कई लोगों को बंदी बनाया गया था।
बता दें कि भारत में इस युद्ध में मराठा सैनिकों द्वारा दिखाई गई वीरता की चर्चा होती है। साल 2019 में बॉलीवुड में इस ऐतिहासिक घटना को लेकर 'पानीपत' नाम से फिल्म भी बनी थी। इसमें मराठा शासकों और सैनिकों की वीरता को दिखाया गया था। हालांकि तब अफगानिस्तान दूतावास ने फिल्म में अफगान शासकों के चित्रण पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि इससे अफगानिस्तान के लोगों की भावनाएं आहत होंगी।