तालिबान का रातों-रात नहीं हुआ अफगानिस्तान पर कब्जा, वर्ष 2017 में अमेरिका ने कही थी ये बात!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 22, 2021 02:56 PM2021-08-22T14:56:32+5:302021-08-22T15:02:27+5:30
अमेरिकी सैनिकों की करीब 20 साल बाद वापसी के बाद तालिबान का अफगानिस्तान पर फिर कब्जा हो गया है. एक वक्त था जब अमेरिकी सैनिकों के बूते अफगान सरकार तालिबान को लगभग पूरी तरह कंट्रोल कर चुकी थी लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब तालिबानी अफगानिस्तान सरकार पर हावी होने. तालिबान का ये कब्जा रातों रात नहीं हो गया. एक वक्त ऐसा भी आया जब तालिबानी आतंकी अमेरिकी और अन्य देशों की फौजों के संयुक्त ऑपरेशन में भारी पड़ते दिखे.
अमेरिकी सैनिकों की करीब 20 साल बाद वापसी के बाद तालिबान का अफगानिस्तान पर फिर कब्जा हो गया है. एक वक्त था जब अमेरिकी सैनिकों के बूते अफगान सरकार तालिबान को लगभग पूरी तरह कंट्रोल कर चुकी थी लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब तालिबानी अफगानिस्तान सरकार पर हावी होने. तालिबान का ये कब्जा रातों रात नहीं हो गया. एक वक्त ऐसा भी आया जब तालिबानी आतंकी अमेरिकी और अन्य देशों की फौजों के संयुक्त ऑपरेशन में भारी पड़ते दिखे.
शोध में दावा, अमेरिका के इस बयान के बाद तालिबान हुआ सक्रिय
वर्ष 2017 में जब पहली बार अमेरिका ने अपनी फौज की वापसी की बात कही तो यहीं से तालिबानी आतंकी एक बार उग्र होने लगे. इस मामले में एक रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि बीते पांच सालों में तालिबान ने एक बार फिर अपने पांव तेजी से पसारने शुरू किए और धीरे-धीरे हर जिले, और प्रांत पर अपना प्रभाव बढ़ाता चला गया और फिर ऐसा भी दिन आया जब उसने राजधानी काबुल पर कब्जा कर अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार होने की घोषणा कर दी.
वर्ष 2017 के बाद से बढ़ गया था तालिबान का आतंक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी द्वारा 'युद्ध की कीमत' नाम से एक रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे वर्ष 2017 में अमेरिकी सेना की वापसी की खबर के बाद तालिबान का आतंक बढ़ गया था और कैसे उसने धीरे-धीरे तालिबान पर अपना कब्जा करना शुरू कर दिया।
हमलों में कई गुना तक की बढ़ोत्तरी हुई
अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी ने 'युद्ध की कीमत' नाम से प्रकाशित रिपोर्ट दावा करते हुए कहा गया है कि वर्ष 2017 में तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी और वर्ष 2017 से 2021 के बीच तक तालिबान द्वारा स्थानीय और प्रांतीय स्तर छोटे-बड़े हमलों में कई गुना की वृद्धि हुई.
वर्ष 2020 में हुए सबसे ज्यादा हमले
इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि, अमेरिकी सेना की वापसी खबर के बाद तालिबान ने वर्ष 2017 में 195 दिन में कुल 298 हमले किए. जबकी वर्ष 2018 में 203 दिन 332 हमले और 2019 में 207 दिनों में कुल 406 हमले किए थे. जबकी वर्ष 2020 में 235 दिनों में 424 और वर्ष 2021 में 295 हमले किए. इनमें छोटे-बड़े हमले शामिल है.
अमेरिका को अपना ही बयान पड़ा भारी
इस रिपोर्ट में दावा करते हुए बताया है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी रातों-रात नहीं हुई. ऊपर दिए आकड़ों में हमलों में हुई वृद्धि बताती है कि अमेरिकी और नाटो सेनाओं ने पहली बार जब अफगानिस्तान से वापसी घोषणा की तो उसी दिन से तालिबान ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी. तालिबान की इस सक्रियता का अंदाजा और उसके पीछे के मंसूबों को अंदाजा न तो अमेरिका लगा पाया और न ही अफगान सरकार. अमेरिका ने कभी नहीं सोचा था कि उसकी इस घोषणा का असर ये होगा. अमेरिका ने अफगानिस्तान को वापस 2001 से पहले की स्थिति में लाकर छोड़ दिया है.