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संदिग्ध चीनी हैकर ने भारतीय मीडिया व सरकार को निशाना बनाया था : रिपोर्ट

By भाषा | Updated: September 22, 2021 20:40 IST

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बैंकाक, 22 सितंबर (एपी) अमेरिका की एक निजी साइबर सुरक्षा कंपनी ने बुधवार को दावा किया कि उसे ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि संभवतः राज्य प्रायोजित एक चीनी समूह द्वारा एक भारतीय मीडिया समूह के साथ ही साथ ही पुलिस विभाग और राष्ट्रीय पहचान संबंधी आंकड़ों के लिए जिम्मेदार एजेंसी को हैक कर लिया गया था।

मैसाचुसेट्स स्थित रिकॉर्डेड फ्यूचर के इनसिक्ट ग्रुप ने कहा कि हैकिंग समूह, जिसे अस्थायी तौर पर टीएजी-28 नाम दिया गया है, ने विन्नटी मालवेयर का उपयोग किया। यह मालवेयर विशेष रूप से राज्य-प्रायोजित कई चीनी गतिविधि समूहों के बीच साझा किया गया है।

चीनी अधिकारी लगातार राज्य प्रायोजित हैकिंग के किसी भी रूप से इनकार करते रहते रहे हैं और उनका कहना है कि चीन खुद साइबर हमलावरों का प्रमुख निशाना है।

इस आरोप से दो क्षेत्रीय दिग्गज देशों के बीच तकरार बढ़ने के आसार है। दोनों के संबंध पहले से ही सीमा विवाद को लेकर गंभीर रूप से तनावपूर्ण हैं।

इंसिक्ट ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साइबर हमले उन सीमा तनावों से संबंधित हो सकते हैं। संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगस्त 2021 की शुरुआत में, रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 की तुलना में 2021 में भारतीय संगठनों और कंपनियों को लक्षित करने वाले संदिग्ध राज्य-प्रायोजित चीनी साइबर गतिविधियों की संख्या में 261 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार फरवरी और अगस्त के बीच दो विन्नटी सर्वरों के साथ बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड मीडिया कंपनी को दिए गए चार ‘आईपी’ पतों का पता लगाया। इसमें कहा गया है कि निजी स्वामित्व वाली मुंबई की कंपनी के नेटवर्क से करीब 500 मेगाबाइट डेटा निकाला गया। इस कंपनी के प्रकाशनों में टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र शामिल है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने टिप्पणी के लिए बार-बार अनुरोध के बाद भी जवाब नहीं दिया।

इंसिक्ट ग्रुप ने कहा कि उसने पाया कि इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश के राज्य पुलिस विभाग से पांच मेगाबाइट डेटा निकाला गया। जून 2020 में भारत से सीमा विवाद के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया था।

ग्रुप ने कहा कि जून और जुलाई में इसने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) में भी हैक की पहचान की। इसने कहा कि करीब 10 मेगाबाइट डेटा डाउनलोड किया गया और 30 मेगाबाइट डेटा अपलोड हुआ।

हालांकि यूआईडीएआई ने एपी को बताया कि उसे 'उल्लेखित प्रकृति के उल्लंघन' की जानकारी नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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