बांग्लादेश में छात्रों का 'आरक्षण हटाओ आंदोलन' हिंसक हुआ, सरकारी नौकरियों में कोटा खत्म करने की मांग, 32 मरे
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 19, 2024 11:48 IST2024-07-19T11:46:11+5:302024-07-19T11:48:14+5:30
प्रदर्शनकारी छात्र उस कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जो आधे से अधिक सरकारी नौकरियों को विशिष्ट समूहों के लिए आरक्षित करती है।

कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा
नई दिल्ली: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा बढ़ने से कम से कम 32 लोग मारे गए हैं और 2,500 से अधिक घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों ने देश के कई सरकारी दफ्तरों में आग लगा दी जिसमें बांग्लादेश के राज्य मीडिया प्रसारक का भवन भी शामिल है।
ढाका और अन्य शहरों में सैकड़ों विश्वविद्यालय छात्र सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था का विरोध करते हुए हफ्तों से रैलियां निकाल रहे हैं। छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए मिलने वाला आरक्षण भी खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2019 में इसे खत्म कर दिया था। लेकिन बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को बहाल करने का फैसला दिया। , सरकार की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को निलंबित कर दिया और सरकार की चुनौती पर सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय की। प्रदर्शन तब और बढ़ गया जब शेख हसीना ने अदालती कार्यवाही का हवाला देते हुए छात्रों की मांगें पूरी करने से इनकार कर दिया।
इस सप्ताह हजारों आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों और हसीना की अवामी लीग पार्टी की छात्र शाखा के सदस्यों के बीच झड़प के बाद हिंसा शुरू हो गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियों, आंसू गैस और शोर ग्रेनेड का भी इस्तेमाल किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। प्रदर्शनकारी छात्र उस कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जो आधे से अधिक सरकारी नौकरियों को विशिष्ट समूहों के लिए आरक्षित करती है।
कोटा प्रणाली क्या है?
बांग्लादेश में कोटा प्रणाली 1972 में शुरू हुई थी। हालांकि तबसे इसमें कई सारे बदलाव हो चुके हैं। यह प्रणाली स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लोगों को आरक्षण का प्रावधान करती है। इसके अलावा अविकसित जिलों के लोगों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। प्रदर्शनकारी छात्रों को डर है कि कोटा से सभी के लिए खुली सरकारी नौकरियों की संख्या कम हो जाएगी। इससे उन उम्मीदवारों को नुकसान होगा जो योग्यता के आधार पर नौकरियां पाना चाहते हैं।