Sri Lanka Economic Crisis: राष्ट्रपति गोटबाया नहीं देंगे इस्तीफा, राजपक्षे परिवार के खिलाफ जनता गुस्से में, जानें मंत्री ने क्या कहा...
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 6, 2022 04:35 PM2022-04-06T16:35:33+5:302022-04-06T16:40:33+5:30
Sri Lanka Economic Crisis: मुख्य सरकारी सचेतक मंत्री जॉनसन फर्नांडो ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार इस समस्या का सामना करेगी और राष्ट्रपति के इस्तीफे का कोई कारण नहीं है क्योंकि उन्हें इस पद के लिये चुना गया था।
कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे किसी भी परिस्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे और वह मौजूदा मुद्दों का सामना करेंगे। श्रीलंका सरकार ने आपातकाल लगाने के राजपक्षे के निर्णय का भी बचाव किया, जिसे बाद में हटा लिया गया।
राजपक्षे ने देश के बदतर आर्थिक संकट को लेकर हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों और अपने इस्तीफे की मांग के चलते एक अप्रैल को देश में आपातकाल लगा दिया था। मुख्य सरकारी सचेतक और राजमार्ग मंत्री जॉन्सटन फर्नांडो ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति गोटाबाया इस्तीफा नहीं देंगे। राजपक्षे परिवार के खिलाफ जनता गुस्से में हैं।
राजमार्ग मंत्री जॉन्सटन फर्नांडो ने कहा कि मैं आपको याद दिला सकता हूं कि 6.9 मिलियन लोगों ने राष्ट्रपति के लिए मतदान किया। फर्नांडो ने दावा किया कि देश में हिंसा के पीछे विपक्षी जनता विमुक्ति पेरामुनावास (जेवीपी) पार्टी का हाथ था। फर्नांडो ने कहा कि इस प्रकार की 'घातक राजनीति' की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए और लोगों से हिंसा की समाप्ति का आह्वान किया।
VIDEO: Hundreds of priests and nuns march in solidarity with Sri Lanka protests over the government's handling of the country's economic crisis.
— AFP News Agency (@AFP) April 6, 2022
"Our corrupt leaders must be sensitive to the cry of the people," says Catholic priest Father Cecil Joy Perera at the rally pic.twitter.com/4fES14wCl3
'कोलंबो पेज' नामक पोर्टल की खबर के अनुसार उन्होंने कहा कि सरकार इन मुद्दों से निपटने के लिये काम करती रहेगी। सरकार ने आपातकाल लागू करने के राष्ट्रपति के फैसले का भी बचाव किया। सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय और अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर हमले के प्रयास के बाद आपातकाल घोषित किया गया था।
#WATCH | "Most of our drugs coming from India under Indian credit line, they'll supply more drugs to us near future & it is a great help for us to function our hospital normally. We thank the Govt of India,” said Dr. Dammika, Director, National Eye Hospital, Colombo pic.twitter.com/7JLLjD4MZK
— ANI (@ANI) April 6, 2022
इससे पहले, श्रीलंका के वरिष्ठ वामपंथी नेता वासुदेव ननायक्कारा ने कहा कि देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के कारण पैदा हुई राजनीतिक उथल पुथल को मध्यावधि चुनाव कराकर समाप्त किया जाना चाहिये। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव कराने से पहले कम से कम छह महीने के लिये एक समावेशी सरकार का गठन किया जाना चाहिये।
Sri Lanka | Bank of Ceylon employee's union staged a protest demanding restructuring of state banks amid economic crisis
— ANI (@ANI) April 6, 2022
We need democratic reform. Demand to instantly dissolve the Parliament & hold an election: Senior vice president of the bank's employee union, Anupa Nandula pic.twitter.com/F6J66THAIb
‘डेमोक्रेटिक लेफ्ट फ्रंट’ के नेता ननायक्कारा उन 42 सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने सतारूढ़ श्रीलंका पोदुजन पेरामुन (एसएलपीपी) गठबंधन से खुद को अलग करने की घोषणा की है। ननायक्कारा ने कहा, ''यह सरकार आगे नहीं चल सकती। कम से कम छह महीने के लिये एक ऐसी सरकार का गठन होना चाहिये, जिसमें सबका प्रतिनिधित्व हो और फिर चुनाव होने चाहिये।''
हालांकि उन्होंने विपक्षी खेमे से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि श्रीलंका इस समय सबसे बदतर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गई है। प्रतिदिन 12 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है।