क्या ईरान में हुए आतंकवादी हमले के पीछे सऊदी अरब का हाथ है?
By विकास कुमार | Updated: February 14, 2019 16:42 IST2019-02-14T16:28:57+5:302019-02-14T16:42:48+5:30
ईरान का आरोप है कि पाकिस्तान सऊदी अरब के कहने पर सुन्नी अलगाववादियों को मदद मुहैया करवाता है। बीते साल ही ईरान ने पाकिस्तान को धमकी दी थी कि अगर वो अपनी हरकत से बाज नहीं आता है तो ईरान भी भारत की तरह पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे सकता है।

क्या ईरान में हुए आतंकवादी हमले के पीछे सऊदी अरब का हाथ है?
पाकिस्तान से सटे बलूचिस्तान प्रान्त के सिस्तान इलाके में आज एक आत्मघाती हमले में ईरान के 27 रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की मौत हो गई। इस हमले की जिम्मेवारी सुन्नी चरमपंथी संगठन जैश-अल-अदल ने ली है। ईरान आज कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है और ऐसे में यह हमला कमजोर होते ईरान को और कमजोर करने के मकसद से की गई है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त से सटे ईरान के क्षेत्र हमेशा से सुन्नी आतंकवादियों का ठिकाना रहे हैं। ये अपने आप को अलगाववादी के रूप में देखते हैं और शिया बहुल मुल्क ईरान में सुन्नी मुसलमानों के दमन के लिए वहां की सरकार को जिम्मेवार ठहराते हैं।
सऊदी अरब कर रहा है पोषण
इससे पहले भी बीते साल सितम्बर महीने में आह्वाज प्रान्त में भी ठीक इसी तरह के हमले में ईरान के 24 सैनिकों की मौत हो गई थी। इन हमलों के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ये हमले एक अलगाववादियों का बदला है या इसके पीछे मध्य-पूर्व में सऊदी अरब की बादशाहत को चुनौती दे रहे ईरान को डराने और अस्थिर करने की एक सुनियोजित साजिश है। क्योंकि पिछले कुछ सालों में मिडिल ईस्ट में जिस तरह से ईरान ने सऊदी अरब और उसके शाही परिवार के खिलाफ मोर्चा खोला है उससे सऊदी हुकूमत को मध्य-पूर्व में अपना वर्चस्व कायम रखने में मुश्किलों का सामना करना पर रहा है।
पाकिस्तान भी दे रहा है सऊदी अरब का साथ
बलूचिस्तान से सटे क्षेत्रों में पाकिस्तान और ईरान की सेना के बीच भी आये दिन आमना-सामना होते रहता है। ईरान का आरोप है कि पाकिस्तान सुन्नी अलगाववादियों को मदद मुहैया करवाता है। बीते साल ही ईरान ने पाकिस्तान को धमकी दी थी कि अगर वो अपनी हरकत से बाज नहीं आता है तो ईरान भी भारत की तरह पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे सकता है। जैश-अल-अदल को सऊदी अरब से वैचारिक और आर्थिक पोषण मिलता है और जिसका इस्तेमाल ईरान को अस्थिर करने के लिए किया जाता है।
हाल के दिनों में जिस तरह से सऊदी अरब और पाकिस्तान में मित्रता बढ़ी है उसने ईरान को चिंता में डाल दिया है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान की लुढ़कती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए हाल ही में 6 अरब डॉलर की आर्थिक मदद की है और अब सऊदी पाकिस्तान और चीन के चाइना-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर का हिस्सा भी बनने जा रहा है। पाकिस्तान के कूटनीतिक फैसलों में सऊदी अरब की बढ़ती दखलंदाजी ने पाकिस्तान को सऊदी प्रोपोगंडा को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्री का ट्वीट इसी तरफ इशारा कर रहा है।
Is it no coincidence that Iran is hit by terror on the very day that #WarsawCircus begins? Especially when cohorts of same terrorists cheer it from Warsaw streets & support it with twitter bots? US seems to always make the same wrong choices, but expect different results.
— Javad Zarif (@JZarif) February 13, 2019
ईरान भारत के लिए सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण
भारत में करीब 12% कच्चा तेल सीधे ईरान से आता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष भारत ने ईरान से करीब सात अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया था। ईरान के पास मौजूद विशाल प्राकृतिक गैस भंडार और भारत में ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतें भी एक बड़ा फैक्टर है। भारत और ईरान के बीच दोस्ती के मुख्य रूप से दो आधार हैं। एक भारत की ऊर्जा ज़रूरतें हैं और दूसरा ईरान के बाद दुनिया में सबसे ज़्यादा शिया मुस्लिम भारत में होना। भारत ने हाल ही में ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट को विकसित करने का जिम्मा उठाया है जिससे भारत को अफगानिस्तान पहुंचने के लिए पाकिस्तान जाने की जरुरत नहीं होगी।
हाल के वर्षों में अफगानिस्तान में भारत ने अपनी मौजूदगी बढ़ाई है जिसके कारण चाबहार पोर्ट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। ईरान के चाबहार पोर्ट को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का जवाब बताया जा रहा है जिसे पाकिस्तान चीन की मदद से विकसित कर रहा है। ईरान और भारत के रिश्ते सामरिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।