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खशोगी की हत्या के बाद बिगड़ रहे हैं सऊदी अरब व तुर्की के संबंध, बहिष्कार की मांग तेज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 11, 2019 13:04 IST

लंबे समय से भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे दो सुन्नी मुस्लिम दिग्गजों के रिश्ते इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में खशोगी की हत्या के बाद और तनावपूर्ण हुए हैं। इस घटना के बाद वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान की वैश्विक स्तर पर छवि धूमिल हुई थी।

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ठळक मुद्देपत्रकार की हत्या के बाद से राष्ट्रवादियों और सरकार समर्थक मीडिया द्वारा तुर्की का बहिष्कार करने की मांग बढ़ती जा रही है।कई मीडिया घरानों ने हाल ही में ‘‘ तुर्की मत जाओ ’’ और ‘‘ तुर्की सुरक्षित नहीं है ’’ की हेडलाइन्स का इस्तेमाल भी किया है।

‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब तथा तुर्की के संबंध और बिगड़ते जा रहे हैं। तेल-समृद्ध सऊदी अरब में ‘हॉलीडे मैग्नेट’ तुर्की का बहिष्कार करने की मांग बढ़ती जा रही है।

लंबे समय से भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे दो सुन्नी मुस्लिम दिग्गजों के रिश्ते इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में खशोगी की हत्या के बाद और तनावपूर्ण हुए हैं। इस घटना के बाद वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान की वैश्विक स्तर पर छवि धूमिल हुई थी।

हर वर्ष हजारों सऊदी पर्यटक तुर्की जाते हैं। लेकिन पत्रकार की हत्या के बाद से राष्ट्रवादियों और सरकार समर्थक मीडिया द्वारा तुर्की का बहिष्कार करने की मांग बढ़ती जा रही है। इससे तुर्की की संभवत: पहले से ही प्रभावित अर्थव्यवस्था और बेहाल हो रही है।

कई मीडिया घरानों ने हाल ही में ‘‘ तुर्की मत जाओ ’’ और ‘‘ तुर्की सुरक्षित नहीं है ’’ की हेडलाइन्स का इस्तेमाल भी किया है। वहीं अल-अरबिया चैनल सहित कई ने अंकारा में सऊदी दूतावास से, पासपोर्ट चोरी की बढ़ती घटनाओं और क्षुद्र अपराध को लेकर आधिकारिक चेतावनी भी जारी की है।

सऊदी अरब के इस रुख का असर भी होता नजर आ रहा है क्योंकि तुर्की के पर्यटन मंत्रालय का कहना है कि 2019 के शुरुआती पांच माह के दौरान, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में सऊदी अरब से आने वाले पर्यटकों की संख्या में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेषज्ञ एग्नेस कालामार्ड ने सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में उचित कार्रवाई नहीं करने के लिए अमेरिका की आलोचना की है। कालामार्ड ने इस मामले की स्वंतत्र जांच के बाद खशोगी की मौत को सऊदी सरकार द्वारा कराई गई सुनियोजित हत्या बताया था। 19 जून को जारी अपनी रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने अमेरिका से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।

कालामार्ड ने यहां कहा, 'चुप्पी से काम नहीं चलेगा। इस मामले पर बोलना जरूरी है। उससे भी ज्यादा कार्रवाई करने की जरूरत है। अमेरिका के पास इसका अधिकार भी है और उसे वह सब करना चाहिए जो जरूरी है।'

सऊदी प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के मुखर आलोचक और वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार खशोगी की पिछले साल अक्टूबर में इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी। अभी तक उनका शव बरामद नहीं हो सका है। खशोगी की हत्या में प्रिंस सलमान का हाथ होने के आरोप लगते रहे हैं।

गौरतलब है कि कालामार्ड ने भी अपनी रिपोर्ट में प्रिंस सलमान के खिलाफ पुख्ता सुबूत होने का दावा किया है। उन्होंने सऊदी अरब की सरकार पर इस मामले को दबाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है। सऊदी सरकार इन आरोपों से इन्कार करती रही है।

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