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पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता से अपराध बढ़े, पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

By मनाली रस्तोगी | Updated: April 28, 2023 07:42 IST

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने देश में मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जबरन गुमशुदगी और कार्रवाई में वृद्धि हुई है।

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ठळक मुद्देएचआरसीपी के मुताबिक, धार्मिक अल्पसंख्यकों और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं, ईशनिंदा के मामले और उकसावे की घटनाएं भी बढ़ी हैं।एचआरसीपी ने बुधवार को जारी 2022 में पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक रिपोर्ट में ये विवरण जारी किया।एचआरसीपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जबरन गायब होने के मामले पिछले साल भी जारी रहे।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने देश में मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जबरन गुमशुदगी और कार्रवाई में वृद्धि हुई है। वॉइस ऑफ अमेरिका ने यह जानकारी दी। एचआरसीपी के मुताबिक, धार्मिक अल्पसंख्यकों और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं, ईशनिंदा के मामले और उकसावे की घटनाएं भी बढ़ी हैं। 

एचआरसीपी ने बुधवार को जारी 2022 में पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक रिपोर्ट में ये विवरण जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और अशांति का वर्ष था क्योंकि देश की विधायिका और प्रशासन अपनी विश्वसनीयता बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। देश के सामने मौजूद संवैधानिक और राजनीतिक संकट को अदालत के जरिए सुलझाने की बात ने हालात को और खराब कर दिया।

वॉइस ऑफ अमेरिका ने बताया कि पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सफलता के बाद से पाकिस्तान अस्थिरता से जूझ रहा है। इमरान खान समय से पहले चुनाव कराने पर जोर दे रहे हैं जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन समय पूर्व चुनाव के पक्ष में नहीं है। देश के दो बड़े प्रांतों पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा की विधानसभाओं को भंग करने के बाद वहां के चुनाव के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

वॉइस ऑफ अमेरिका के अनुसार, देश में राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ पिछले साल पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन के कारण आई विनाशकारी बाढ़ ने आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। गौरतलब है कि पिछले साल पाकिस्तान में असामान्य बारिश के कारण आई बाढ़ से पूरे देश में 30.3 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे जबकि 1700 से अधिक लोग मारे गए थे।

एचआरसीपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जबरन गायब होने के मामले पिछले साल भी जारी रहे। अपनों को बरामद करने के प्रयासों के दौरान भी लापता व्यक्तियों के परिजनों को कथित रूप से डराया-धमकाया गया। जबरन गुमशुदगी की वसूली के लिए सरकारी आयोग के आंकड़ों के अनुसार, गुमशुदगी के 2,210 मामले अभी भी लंबित हैं। 

एचआरसीपी का कहना है कि पिछले साल कराची में हुए आत्मघाती हमले के बाद बलूचिस्तान और अन्य इलाकों से जबरन गायब होने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। कथित तौर पर कई बलूच नागरिक लापता हो गए, उनमें से कुछ को बरामद कर लिया गया है, लेकिन कई अभी भी लापता हैं। या यह कहा जा सकता है कि अप्रैल 2022 में कराची विश्वविद्यालय में एक बलूच महिला शैरी बलूच द्वारा चीनी शिक्षकों पर किए गए आत्मघाती हमले के बाद कुछ बलूच छात्रों को जबरन गायब करने और उनका उत्पीड़न करने की घटनाएं सामने आईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईशनिंदा, भीड़ की हिंसा, अहमदी समुदाय के पूजा स्थलों को अपवित्र करने और अन्य धार्मिक समुदायों के खिलाफ भेदभाव की घटनाएं हुई हैं। महिलाओं के खिलाफ ऑनर किलिंग और घरेलू हिंसा और एसिड अटैक की घटनाएं बढ़ी हैं। एचआरसीपी का कहना है कि ट्रांसजेंडरों की सुरक्षा के लिए 2018 में पारित कानून को न सिर्फ कोर्ट में चुनौती दी गई बल्कि उसमें प्रस्तावित संशोधन को संसद में पेश किया गया। 

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ट्रांसजेंडरों को सुरक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता के बावजूद, ट्रांसजेंडरों को समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर, पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल देश में ईशनिंदा के 35 मामले दर्ज किए गए, जबकि एक गैर-सरकारी संगठन, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के अनुसार, 171 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया और उनमें से ज्यादातर पंजाब में हुए।

पिछले साल पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले पांच वर्षों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हुई घटनाओं की सबसे अधिक संख्या थी। 2022 में देशभर में हुए 376 आतंकी हमलों में 533 लोग मारे गए जबकि 832 घायल हुए। इनमें सबसे घातक हमला पेशावर की जामा मस्जिद पर हुआ आत्मघाती हमला था जिसमें 63 लोग मारे गए थे।

पाकिस्तान में पिछले साल 98 लोगों को विभिन्न अपराधों के लिए अदालतों ने मौत की सजा सुनाई थी, जबकि 2021 में यह संख्या 129 थी। रिपोर्ट में पाकिस्तान की जेलों में कैदियों की स्थिति का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में कैदियों की संख्या 88,687 है जो जेलों की क्षमता से कहीं अधिक है। रिपोर्ट में कैदियों के कथित दुर्व्यवहार पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

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