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फलस्तीनी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन एनएसओ स्पाइवेयर के जरिये हैक किए गए

By भाषा | Updated: November 8, 2021 17:46 IST

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यरुशलम, आठ नवंबर (एपी) सुरक्षा शोधकर्ताओं ने सोमवार को खुलासा किया कि कुख्यात इजरायली ‘हैकर-फॉर-हायर’ (जानकारी चुराने के लिये किराये पर उपलब्ध) कंपनी एनएसओ ग्रुप के स्पाइवेयर छह फलस्तीनी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मोबाइल फोन में पाए गए थे, इनमें आधे ऐसे समूहों से जुड़े थे, जिनके इजरायल के रक्षा मंत्री ने विवादास्पद रूप से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का दावा किया था।

यह फलस्तीनी कार्यकर्ताओं के सैन्य-ग्रेड पेगासस स्पाइवेयर द्वारा निशाने पर होने का पहला ज्ञात उदाहरण है। मेक्सिको से लेकर सऊदी अरब तक पत्रकारों, अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक असंतुष्टों के खिलाफ इसके उपयोग से जुड़े दस्तावेज 2015 से उपलब्ध हैं।

एक सटीक पेगासस संक्रमण गुप्त रूप से घुसपैठियों को उन सभी चीजों तक पहुंच प्रदान करता है जो एक व्यक्ति अपने फोन पर संग्रहित करता है, जिसमें वास्तविक समय (रीयल-टाइम) में किया गया संचार भी शामिल है।

गैर-लाभकारी ‘फ्रंटलाइन डिफेंडर्स’ के मोहम्मद अल-मसकाती के फोन में सबसे पहले सामने आए इस स्पाइवेयर के बारे में यह स्पष्ट नहीं है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन में किसने इसे प्रेषित किया था।

अक्टूबर के मध्य में पहली दो घुसपैठों का पता चलने के तुरंत बाद, इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने छह फलस्तीनी नागरिक संस्थाओं को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। आयरलैंड स्थित ‘फ्रंटलाइन डिफेंडर्स’ और पीड़ितों में से कम से कम दो का कहना है कि वे इजरायल को मुख्य संदिग्ध मानते हैं और उन्हें लगता है कि आतंकी संगठन घोषित करना, हैक (जासूसी) का पता चलने को दबाने की कोशिश करने के लिए किया गया हो सकता है, हालांकि उन्होंने उन दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है।

इजरायल ने समूहों को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए सार्वजनिक तौर पर बहुत कम सबूत उपलब्ध कराए हैं। फलस्तीनी समूहों का कहना है कि इसका मकसद उनके वित्तपोषण को रोकने और इजरायली सैन्य शासन के विरोध को दबाना है।

‘फ्रंटलाइन डिफेंडर्स’ ने कहा कि जिन फलस्तीनियों के फोन हैक किए गए हैं उनमें से तीन नागरिक समाज समूह के लिए काम करते हैं। अन्य ने नाम न जाहिर करने की मंशा जताई है।

फोरेंसिक पड़ताल की स्वतंत्र रूप से एमनेस्टी इंटरनेशल और टोरंटो विश्वविद्याल के ‘सिटिज़न’ लेब के सुरक्षा शोधार्थियों ने एक रिपोर्ट में पुष्टि की है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब एनएसओ ग्रुप की स्पाइवेयर के दुरुपयोग के लिए निंदा की जा रही है और अपने डिजिटल उद्योग पर पर्याप्त नजर नहीं रखने की वजह से इजरायल की सरकार भी निशाने पर है।

पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने एनएसओ ग्रुप और अन्य कंपनी कैनडिरू को काली सूची में डाल दिया था।

फलस्तीनी कार्यकर्ताओं के खिलाफ सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के आरोपों पर पूछे जाने पर एनएसओ ग्रुप ने एक बयान में कहा कि वह अपने ग्राहकों की पहचान, अनुबंध और राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से उजागर नहीं करता है और उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि किन लोगों ने फोन हैक किए हैं और वह सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ‘संगीन अपराध और आतंकवाद’ के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए सॉफ्टवेयर बेचता है।

इजरायल के एक अधिकारी ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि छह समूहों को आतंकवादी संगठन पुख्ता सबूतों के आधार पर घोषित किया गया है और इसका संबंध एनएसओ सॉफ्टवेयर से होने का कोई भी दावा बेबुनियाद है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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