नयी दिल्ली: फिलीपीन के राष्ट्रपति ने कहा है कि उनका देश "किसी भी विदेशी ताकत" के आगे नहीं झुकेगा लेकिन कभी युद्ध की शुरुआत नहीं करेगा। विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना द्वारा फिलीपीन की नौसेना के जवानों को घायल करने और एक झड़प में कम से कम दो सैन्य नौकाओं को क्षतिग्रस्त किये जाने की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह कहा।
राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने अपने शीर्ष अधिकारियों और रक्षा प्रमुख के साथ द्वीपीय प्रांत पलावन के लिए उड़ान भरी। वह वहां उन नौसेना कर्मियों से मिलने और उन्हें पदक प्रदान करने के लिए पहुंचे जो चीनी तटरक्षक के हमले का निशाना बने थे। सेना द्वारा सार्वजनिक किए गए टकराव के वीडियो और तस्वीरों में चीनी तट रक्षक के कर्मी फिलीपीन के नौसेना की एक नाव पर प्रहार करते, सायरन बजाते और स्ट्रोब लाइट का उपयोग करते देखे जा सकते हैं।
वहीं, चीन की सरकार ने कहा है कि जब फिलीपीन के सैनिकों ने उसकी चेतावनी को नजरअंदाज किया तब उसे कार्रवाई करनी पड़ी। इस हिंसक टकराव ने अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य पश्चिमी और एशियाई देशों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं, चीन और फिलीपीन ने इसे उकसावे के लिए एक-दूसरे को दोषी करार दिया है।
बता दें कि फिलीपीन ने चीन की आक्रामकता को देखते हुए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। चीन का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम में फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल के लिए एक बेस स्थापित कर रहा है। भारत ने अप्रैल महीने में फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की पहली खेप की आपूर्ति की थी। दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा दिखाई जा रही सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है। फिलीपींस के इस फैसले का उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में चीनी युद्ध बेड़े की निगरानी करना है। ब्रह्मोस मिसाइल एक जहाज-रोधी हथियार प्रणाली है। इसकी मदद से फिलीपींस अपनी समुद्री सीमाओं को अभेद्य बनाना चाहता है।