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बच्चों के लिये फाइजर के टीके को मंजूरी, लेकिन पहले अन्य लोगों के टीकाकरण की जरूरत

By भाषा | Updated: June 5, 2021 17:43 IST

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(डॉमिनिक विल्किन्सन, जोनाथन पग और जूलियन सावुलेस्कू, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड)

लंदन, पांच जून (द कन्वरसेशन) मॉडर्ना और फाइजर ने अपने आंकड़ों को जारी कर दिया है जिससे संकेत मिलता है कि उनके टीके किशोरों के लिये उपयुक्त और कोविड-19 की रोकथाम में बेहद प्रभावी हैं। कनाडा, अमेरिका और यूरोपीय संघ पहले ही 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को फाइजर का टीका लगाए जाने के लिये मंजूरी दे चुके हैं। ब्रिटेन ने भी अब 12 से 15 साल की उम्र के बच्चों को फाइजर के लिए फाइजर के टीके के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। लेकिन कई कारणों से इसे तत्काल लागू करने को लेकर सवाल हो सकते हैं।

कोई टीका किसी के लिये लाभदायक है यह तीन चीजों पर निर्भर करता है: संक्रमण के बाद उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका कितनी है, टीका कितना प्रभावी है और टीकाकरण का जोखिम कितना है।

वयस्कों के मुकाबले बच्चों में कोविड-19 कम गंभीर होता है। सात देशों में हुए एक हालिया अध्ययन से संकेत मिलता है कि कोविड-19 से हुई 10 लाख मौत के मामलों में बच्चों की मौत के दो से भी कम मामले सामने आते हैं। भले ही टीका बच्चों पर बेहद प्रभावी हो, यह पहले से ही बेहद मामूली जोखिम को सिर्फ खत्म कर सकता है। निश्चित रूप से, अन्य समस्याएं, जैसे दीर्घकालिक कोविड आदि हैं लेकिन हम अभी यह नहीं जानते के बच्चों में यह कितनी सामान्य हैं।

हमें टीके से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते समय इसके फायदों को भी देखना होगा। अब तक के परीक्षण आश्वस्त करने वाले हैं, लेकिन इन अध्ययनों में टीके करीब 3000 युवा आबादी (12 से 17 साल उम्र के) को ही दिये गए हैं। यह दुर्लभ मामलों की पहचान के लिये बड़ी संख्या नहीं है। उदाहरण के लिये एस्ट्राजेनका टीके से जुड़े रक्त के थक्का जमने के मामलों को इससे ज्यादा बड़े वयस्क परीक्षण के दौरान नहीं देखा गया था।

अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) टीका लगवाने वाले किशोरों और बच्चों के दिल में सूजन की खबरों के मामलों को देख रहा है। हम नहीं जानते कि यह वास्तव में टीकों से संबंधित हैं या नहीं, इसकी वास्तविक दर क्या हो सकती है या क्या यह बच्चों से संबंधित है।

सुरक्षा प्रोफाइल के बारे में शेष अनिश्चितता और कम जोखिम वाली आबादी में अपेक्षाकृत कम लाभ के कारण हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि कोविड-19 टीके कुल मिलाकर बच्चों के सर्वोत्तम हित में होंगे।

नैतिक सवाल

प्रत्यक्ष फायदों के साथ ही टीकों के महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष फायदे भी हैं: वे वायरस के प्रसार को रोकती हैं और अन्य लोगों को संक्रमित होने से बचाती हैं। अगर आप मामूली व्यक्तिगत लागत, जोखिम या बोझ से दूसरों की महत्वपूर्ण रूप से मदद करते सकते हैं तो ऐसा करना आपका नैतिक दायित्व है, बचाव में मदद पहुंचाने का तथाकथित दायित्व है।

बच्चों के टीकाकरण से सामूहिक (हर्ड) रोग प्रतिरक्षा प्राप्त करने और उम्रदराज बुजुर्गों की सुरक्षा में मदद मिल सकती है। इस वजह से कुछ नैतिकतावादी बच्चों में फ्लू टीका कार्यक्रम को लक्षित करने की पैरोकारी कर रहे हैं।

आंकड़ों से ऐसे संकेत मिलते हैं कि बच्चों के साथ रह रहे वयस्कों में संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने का खतरा ज्यादा होता है। इस बात को लेकर भी कुछ चिंता हैं कि नए स्वरूपों के मामले बड़ी संख्या में युवा लोगों में हो रहे हैं।

इसबीच ऐसे साक्ष्य सामने आ रहे हैं कि कोविड टीके से वायरस का प्रसार रुकता है। हालांकि टीके की वजह से सामूहिक प्रतिरक्षा उस स्थिति में संभव नहीं है जब वायरस के स्वरूप एंटीबॉडी सुरक्षा से बचते हैं।

अगर सामूहिक प्रतिरक्षा वास्तव में संभव है तो इसे संभवत: 60 से 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण से हासिल किया जा सकता है। ब्रिटेन और कई दूसरे देशों में इसे बच्चों के टीकाकरण के बगैर भी हासिल करना संभव है।

लेकिन बच्चों का टीकाकरण गलत होगा इसकी एक ज्यादा महत्वपूर्ण वजह है। वैश्विक टीकाकरण वितरण और पहुंच में व्यापक असमानताएं हैं। टीकों की आपूर्ति की कमी के कारण नेपाल ने पिछले महीने टीकाकरण कार्यक्रम को मामलों के बढ़ोतरी के बावजूद रोक दिया। अब तक उसकी महज 2.5 प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है।

पेरू में हाल में दुनिया में प्रति व्यक्ति कोविड से सबसे ज्यादा मौत दर्ज की गईं लेकिन उसकी भी सिर्फ 4 प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण हुआ है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक टीके के 1.3 करोड़ खुराक (ब्रिटेन के सभी बच्चों के टीकाकरण के लिये पर्याप्त) पेरू जैसे देश में हजारों मौत को रोक सकती हैं।

संक्षेप में कहें तो हमें ज्यादा जरूरतमंद देशों में व्यापक टीकाकरण को हासिल करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि अगर वायरस को उन देशों में बेलगाम फैलने दिया गया तो उन देशों में भी संक्रमण की और लहर आने का खतरा बना रहेगा जहां टीकाकरण की दर उच्च है।

टीकों के व्यापक अंतरराष्ट्रीय वितरण का आशय होगा कि विकसित देशों में युवा आबादी के लिये टीके गरीब देशों में मरने के ज्यादा जोखिम वाली आबादी की कीमत पर नहीं आएंगे। लेकिन आने वाले महीनों में और संभवत: उच्च आय वाले देशों में लंबे कोविड टीकाकरण अभियान में बच्चों को शामिल नहीं किया जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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