नई दिल्ली: पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने गुरुवार को संसद में वैश्विक आतंकी ओसामा बिन लादेन को शहीद बताया है। इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ जंग में अमेरिका का साथ नहीं देना चाहिए था।
बता दें कि इमरान खान का यह बयान तब आया है, जब दुनिया के हर देशों ने पाकिस्तान पर आतंकी संगठन को पनाह देने का आरोप लगाया है। यही नहीं वैश्विक संगठन जब पाकिस्तान सरकार पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दवाब बना रही है।
इमरान खान ने इस्लामाबाद को बताए बिना आतंकी मारने पर अमेरिका की आलोचना की-
बता दें कि इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अल-कायदा सरगना और खूंखार आतंकवादी ओसामाबिन लादेन को संसद में 'शहीद' करार दिया है। यही नहीं, खान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ जंग में अमेरिका का साथ नहीं देना चाहिए था।
अमेरिका पर बरसते हुए खान ने कहा कि अमेरिकी फोर्सेज ने पाकिस्तान में घुसकर लादेन को 'शहीद' कर दिया और पाकिस्तान को बताया भी नहीं और इसके बाद पूरी दुनिया पाकिस्तान की ही बेइज्जती करने लगी।
इमरान ने कहा कि ओसामा की मौत के बाद उठानी पड़ी जिल्लत-
इमरान खान ने अपने भाषण के दौरान ये भा कहा कि अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान सरकार को बिना बताए हमारे देश में घुसकर ओसामा बिन लादेन के शहीद कर दिया। इसके बाद हमें क्या मिला। हमें दुनिया भर में जिल्लत उठानी पड़ी।
इमरान खान ने कहा कि अमेरिकी आतंकवाद के खिलाफ जंग में हमने अपने 70 हजार लोगों को खो दिया। इसके साथ ही इमरान खान ने कहा कि हमें अमेरिका के आतंक के खिलाफ इस लड़ाई में साथ नहीं देना चाहिए था।
आतंकी समूहों की फंडिंग रोकने में असफल रहा पाकिस्तान, FATF ने ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा-
मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग की रोक थाम के अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में जारी रखने का फैसला किया है।
एफएटीएफ के अनुसार पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए वह ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने अपनी तीसरी डिजिटल बैठक में यह फैसला किया। इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘‘एफएटीएफ ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय लिया है।’’
अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया है।