एक यूक्रेनी नागरिक ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बारे में कहा, "दुनिया में कम से कम एक व्यक्ति तो हो, जो उसके पागलपन को रोक सके, वह बीमार आदमी है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 2, 2022 03:54 PM2022-03-02T15:54:52+5:302022-03-02T16:01:26+5:30
यूक्रेन के नागरिक रूस के खिलाफ लड़ाई में शामिल हैं, वहीं यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे तेजी से देश छोड़कर भाग रहे हैं क्योंकि रूसी सेना अब नागरिक क्षेत्रों को भी मिसाइल के निशाने पर ले रही है। यूक्रेन में युद्ध के कारण यूरोपीय संघ के पूर्वी देशों में यूक्रेनी शरणार्थियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है कि लगभग 675,000 यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे पड़ोसी देशों में शरणागत हैं।
कीव:रूस-यूक्रेन युद्ध के सातवें दिन दोनों देशों के बीच जबरदस्त लड़ाई जारी है। युद्ध के शुरूआती दिनों में रूसी सेना ने यूक्रेन की आर्मी को हल्के में लिया था और शायद रूसी फौज का सामना केवल यूक्रेन की आर्मी से होता तो वह कुछ ही दिनों में जंग के निर्याणक मोड़ पर पहुंच जाती। लेकिन यूक्रेन के आम नागरिक सेना के साथ जिस तरह से लड़ाई कर रहे हैं, उससे रूसी सेना भी हैरत में है।
यूक्रेन के नागरिक रूस के खिलाफ लड़ाई में शामिल हैं, वहीं यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे तेजी से देश छोड़कर भाग रहे हैं क्योंकि रूसी सेना अब नागरिक क्षेत्रों को भी मिसाइल के निशाने पर ले रही है। यूक्रेन में युद्ध के कारण यूरोपीय संघ के पूर्वी देशों में यूक्रेनी शरणार्थियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है कि लगभग 675,000 यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे पड़ोसी देशों में शरणागत हैं।
पूर्वी हंगरी के एक गांव में स्कूल के मैदान में इकट्ठा हुए सैकड़ों शरणार्थियों में लगभग वही यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे हैं, जिनके पति, पिता, भाई और बेटे रूसी सेना से लोहा ले रहे हैं और अपने देश को बचाने के लिए जान की कुर्बानी दे रहे हैं।
यूक्रेन की राजधानी कीव की रहने वाले 34 साल ओल्गा स्किलारोवा ने कहा कि वे और उनके भाई यूक्रेन को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं क्योंकि यूक्रेन सरकार ने आम नागरिकों से रूसी सेना के खिलाफ हथियार उठाने की गुजारिश की थी।
बहुत से यूक्रेनी पुरुष सीमा पर अपने घर की महिलाओं और बच्चों को दूसरे देश में जाने के लिए छोड़कर वापस कीव आ गये क्योंकि उन्हें रूस के खिलाफ हथियार चलाने थे।
यूक्रेन के शरणार्थियों के विषय में संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर की प्रवक्ता शबिया मंटू ने मंगलवार को कहा कि लगभग 675,000 यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे अपने देश से दरबदर होकर इस सदी में यूरोप का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट बनने की तैयारी में है।
यूक्रेन की जेलेंस्की सरकार ने रूस हमले के बाद एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि यूक्रेन में 18 से 60 साल के पुरुषों को देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। यूक्रेन ने अपने पुरुष नागरिकों से कहा कि वो सैन्य भर्ती के लिए उपलब्ध रहें। वहीं इस आदेश का स्पष्ट मतलब है कि यूक्रेनी महिलाओं और बच्चों को स्वयं के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश कर लेनी चाहिए।
इस आदेश के बाद पश्चिमी यूक्रेनी शहर कलुश के इरिना यारीमचुक ने मंगलवार तड़के अपने 14 साल के बेटे और 1 साल की बेटी के साथ हंगेरियन गांव टिस्ज़ाबेक्स पहुंचने के लिए पांच घंटे का सफर किया। परिवार को यूक्रेन की सीमा से बाहर सुरक्षित भेज चुके इरिना यारीमचुक ने कहा कि उनका भाई भी यूक्रेनी सेना शामिल हो गया और वह उसके लिए बहुत चिंतित हैं।
इरिना यारीमचुक ने बेलारूस के पास यूक्रेनी सीमा पर तैनात अपने भाई को भेजे संदेश में कहा कि हम आपसे बहुत प्यार करते हैं। आप खुद को मजबूत बनाएं। हम युद्ध जीतेंगे और उसके बाद हम जल्द ही मिलेंगे।
यारीमचुक युद्ध के बाद प्राग स्थित अपने रिश्तेदार के पास जाने के बारे में सोच रहे थे लेकिन गुरुवार को रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद पास के इवानो-फ्रैंकिवस्क हवाई अड्डे पर मिसाइल हमले होने के कारण यारीमचुक ने घर में बने बंकर में बंद होकर परिवार के साथ पांच दिन बिताए। यारीमचुक ने कहा परिवार के सुरक्षित चले जाने के बाद कहा कि युद्ध की उन पांच डरावनी रातों में वह हमेशा अपने बच्चों के लिए डरे रहते थे।
रूसी सेना के द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाये जाने के कारण यूक्रेन की बहुत सी महिलाएं अपने बच्चों के साथ पड़ोसी देश पोलैंड में शरण ले रही हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने मंगलवार को यूरोपीय संसद को बताया कि रूसी सेना ने नागरिक इलाकों को निशाना बनाकर एक दिन पहले 16 बच्चों को मार डाला है।
यूक्रेन से भागने वालों में ओक्साना सेरेडुक भी शामिल थी, जो मंगलवार सुबह अपनी दो बेटियों और पोते-पोतियों के साथ पोलैंड के मेड्यका में कार से पहुंची थी। ओक्साना सेरेडुक ने कहा कि उनके यूक्रेन छोड़ने का सबसे बड़ा कारण बच्चे थे।
ठीक उसी तरह पश्चिमी यूक्रेन के लुत्स्क में गोलाबारी शुरू होने पर मारिया लिसिका ने भी अपने दो बच्चों के साथ यूक्रेन को छोड़ दिया। मारिया ने कहा कि मैं अपने बच्चों के लिए सब कुछ करूंगी। मैं उन्हें दूर नहीं ले जाना चाहता था, मैं चाहती थी कि वे घर पर रहे लेकिन ये मेरे वश में नहीं था। मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बच्चे हैं बाकि मुझे कोई परवाह नहीं है।
पावलो बिलोडिड ने यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्विव के बस स्टेशन पर अपनी पत्नी और 2 साल की बेटी मारिया को अलविदा कहते हुए अपने आंसू पोछे और उन्हें पोलैंड जाने के लिए बस में बैठा दिया। 33 साल के बिलोदीद ने कहा कि हम यूक्रेन की रक्षा के लिए रूके हैं। अगर जरूरत पड़ेगी तो हम लड़ने के लिए कीव भी जाएंगे।
चेक गणराज्य के ब्रनो में रहने वाले पश्चिमी यूक्रेन के खस्त के मूल निवासी इवान मुर्शा यूक्रेन की लड़ाई मनें भाग लेने के लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम यूक्रेनियन हैं। मुर्शा ने कहा कि इस समय हमें एक होकर रहना चाहिए और एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। मुर्शा से जब पूछा गया कि कीव में उन्हें क्या मिलने की उम्मीद है तो उन्होंने कहा, 'खंडहर'।
मुर्शा ने कहा, "किसी को तो पुतिन को रोकना होगा। मुझे लगता है कि दुनिया में कम से कम एक व्यक्ति तो हो जो इसके पागलपन को रोक सके। वह बीमार आदमी है।"