सुधार के विरोधियों की आपत्तियां ‘लंबे समय से यथावत बनी हुई हैं’: संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा

By भाषा | Updated: November 17, 2021 10:46 IST2021-11-17T10:46:54+5:302021-11-17T10:46:54+5:30

Objections of opponents of reform 'have remained the same for a long time': India at UN | सुधार के विरोधियों की आपत्तियां ‘लंबे समय से यथावत बनी हुई हैं’: संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा

सुधार के विरोधियों की आपत्तियां ‘लंबे समय से यथावत बनी हुई हैं’: संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा

(योशिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 17 नवंबर भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बढ़ते जटिल मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रभावी ढंग से कार्य करने में असमर्थ है क्योंकि इसमें समावेशी प्रतिनिधित्व का अभाव है तथा भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के बावजूद सुधार के विरोधियों की आपत्तियां ‘‘लंबे समय से यथावत बनी हुई हैं।’’

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर. रवींद्र ने ‘सुरक्षा परिषद में न्यायसंगत प्रतिनिधित्व और सदस्यता में वृद्धि के प्रश्न’ पर महासभा के सत्र को संबोधित किया

रवींद्र ने कहा कि महासभा के एजेंडे में बदलाव की जरूरत के रेखांकित होने के बाद से पिछले चार दशकों में, ‘‘भले ही हमारे आसपास का भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल गया हो, लेकिन सुधार के विरोधियों की आपत्तियां लंबे समय से वैसी ही बनी हुई हैं।’’

उन्होंने सोमवार को कहा, ‘‘हमने इस साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस में अपने नेताओं को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप उपयुक्त बनाने के लिए वैश्विक शासन संरचनाओं में सुधार की तात्कालिकता और महत्व पर प्रकाश डालते देखा।’’ उन्होंने आगाह किया कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की ओर से निष्क्रियता बिना किसी कीमत के नहीं है।

रवींद्र ने कहा कि सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बढ़ते जटिल मुद्दों का समाधान करने का आह्वान किया जा रहा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र का यह शक्तिशाली अंग ‘‘खुद को प्रभावी ढंग से कार्य करने में असमर्थ पाता है, क्योंकि इसमें उन लोगों के समावेश की कमी है जिन्हें वहां प्रतिनिधित्व करना चाहिए और इसलिए वैधता और विश्वसनीयता की भी कमी है।’’

भारत का वर्तमान में 15-सदस्यीय सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल चल रहा है। भारत सुरक्षा परिषद के तत्काल सुधार और विस्तार के प्रयासों में सबसे आगे रहा है। रवींद्र ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली अंग अपने वर्तमान स्वरूप में 21वीं सदी की समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करता।

रवींद्र ने सुरक्षा परिषद में सुधार के प्रश्न पर भारत की चिर परिचित और वास्तविक स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि परिषद की सदस्यता को स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसी स्थिति है जिस पर स्पष्ट रूप से अधिकतर सदस्य राष्ट्र समर्थन कर चुके है।’’

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76 वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद हैं। भारत ने उम्मीद जताई कि शाहिद की अध्यक्षता में कोई ठोस प्रगति देखने को मिलेगी। अंतरसरकारी वार्ता (आईजीएन) अपने 14वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। रवींद्र ने खेद जताते हुए कहा कि आईजीएन मतभेदों को कम करने के किसी भी प्रयास के बिना, अब तक सिर्फ बार-बार बयान देने तक सीमित रहा है।

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Web Title: Objections of opponents of reform 'have remained the same for a long time': India at UN

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