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नेपाल : संसद भंग करने के खिलाफ विपक्ष सोमवार को रिट याचिका दायर करेगा

By भाषा | Updated: May 23, 2021 19:50 IST

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काठमांडू, 23 मई नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर करने की योजना रविवार को टाल दी और अब वह सोमवार को राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को ‘असंवैधानिक’ रूप से भंग करने के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करेगा।

विपक्षी पार्टियों की रविवार को रिट याचिका दायर करने की योजना थी लेकिन उन्होंने पर्याप्त समय नहीं मिलने के मद्देनजर इसे सोमवार तक टाल दिया।

हिमालय टाइम्स ने सीपीएन-माओवादी केंद्र नेता के हवाले से बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे रिट याचिका दायर की जाएगी।

अखबार ने बताया कि गठबंधन के नेता रविवार को बैठक करने और सांसदों से हस्ताक्षर करवाने में व्यस्त रहें। इस कार्य में माआवेादी केंद्र, नेपाली कांग्रेस, जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल, राष्ट्रीय जनमोर्चा और सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल पार्टी का माधव नेपाल गुट शामिल रहा।

माओवादी केंद्र के नेता के हवाले से अखबार ने बताया कि हस्ताक्षर एकत्र करने का अभियान समाप्त नहीं हुआ है लेकिन बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शनिवार को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (संसद का निम्न सदन) को पांच महीने में दूसरी भंग करने और 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। उन्होंने यह फैसला प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा के परामर्श पर किया था जो अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के सरकार बनाने के दावे को भी खारिज कर दिया।

ओली और विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा ने अलग-अलग राष्ट्रपति से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

राष्ट्रपति द्वारा संसद को फिर से भंग करने के फैसले से सचेत हुए नेपाल के विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने शनिवार को प्रधानमंत्री ओली और राष्ट्रपति भंडारी के कथित ‘असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और पीछे ले जाने वाले’ फैसले का कानूनी और राजनीतिक स्तर पर मुकाबला करने का निर्णय लिया।

विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति पर सदन में बहुमत गंवा चुके प्रधानमंत्री के साथ मिलकर देश के संविधान और लोकतंत्र पर हमला करने का आरोप लगाया है।

राजनीतिक उठापटक के बीच नेपाल के प्राधिकारियों ने रविवार को उच्चतम न्यायालय की इमारत के आस-पास सुरक्षा कड़ी कर दी है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति के शनिवार के फैसले से नेपाल में राजनीतिक संकट और गहरा गया है। इसके साथ ही यह दिसंबर 2020 के उनके फैसले की पुनवृत्ति प्रतीत होता है जब उन्होंने पहली बार ओली की सलाह पर संसद को भंग किया था।

हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में संसद भंग करने के उनके फैसले को रद्द कर दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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