अफगानिस्तान में मानवधिकारों को लेकर यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव में बदलाव की जरूरत: पाकिस्तान
By भाषा | Updated: October 1, 2021 19:02 IST2021-10-01T19:02:16+5:302021-10-01T19:02:16+5:30

अफगानिस्तान में मानवधिकारों को लेकर यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव में बदलाव की जरूरत: पाकिस्तान
जेनेवा, एक अक्टूबर (एपी) पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) को अफगानिस्तान में नए तालिबान शासन में मानवाधिकारों की समीक्षा की अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिये, जो दशकों चले युद्ध और अस्थिरता से उभरने की उम्मीद कर रहा है।
इस्लामाबाद का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय में एक प्रस्ताव में ''और सुधार'' की आवश्यकता है, जिसके तहत मानवाधिकारों को एकमात्र मानदंड नहीं मानते हुए युद्धग्रस्त देश की सहायता का दृढ़ संकल्प लिया जाना चाहिये। पाकिस्तान को तालिबान का सबसे करीबी वार्ताकार माना जाता है। समूह के साथ उसके ऐतिहासिक संबंध हैं। साथ ही उसपर स्पष्ट प्रभाव भी है।
यूरोपीय यूनियन मानवाधिकार परिषद में अगले सप्ताह एक प्रस्ताव पारित करने के लिये 40 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक प्रयास का नेतृत्व कर रहा है। इस प्रस्ताव के तहत यूरोपीय यूनियन अफगानिस्तान के लिये एक विशेष दूत को नामित करेगा। इसका मकसद मानवाधिकारों को बरकरार रखने की अफगानिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में उसकी मदद करना और मानवाधिकारों के हिमायती समूहों को सहयोग प्रदान करना है, जिनका काम नए शासन के दौरान बाधित हुआ है।
यूरोपीय देश परिषद में प्रस्ताव के लिए आम सहमति चाहते हैं। इससे पहले, पाकिस्तान और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने अगस्त में एक विशेष सत्र के दौरान परिषद में एक प्रस्ताव का नेतृत्व किया था।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार ने बृहस्पतिवार को 'एसोसिएटेड प्रेस' से कहा कि ईयू के मसौदा प्रस्ताव में और सुधारों की जरूरत है। प्रतिनिधिमंडल इस पर बारीकी से काम कर रहा हा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि यूरोपीय संघ के प्रस्ताव में एक महीने पहले पारित ओआईसी प्रस्ताव से अलग कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि यूरोपीय यूनियन को अफगानिस्तान में नए तालिबान शासन के तहत मानवाधिकारों की समीक्षा की अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिये, जो दशकों चले युद्ध और अस्थिरता से उभरने की उम्मीद कर रहा है।
इफ्तिखार ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय में पेश इस प्रस्ताव में ''और सुधार'' की आवश्यकता है। इसमें केवल मानवाधिकारों को एकमात्र मानदंड नहीं मानते हुए युद्धग्रस्त देश की सहायता का दृढ़ संकल्प लिया जाना चाहिये।
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