Chandrayaan 2: ISRO के प्रयासों से प्रेरित हुआ NASA, कहा- मिलकर करेंगे सैर प्रणाली की खोज

By भाषा | Published: September 8, 2019 02:55 PM2019-09-08T14:55:29+5:302019-09-08T14:55:29+5:30

पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री जेरी लेनिंगर ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की ‘‘साहसिक कोशिश’’ से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा।

NASA was impressed by ISRO, said- you have inspired us, together we will explore the tour system | Chandrayaan 2: ISRO के प्रयासों से प्रेरित हुआ NASA, कहा- मिलकर करेंगे सैर प्रणाली की खोज

Chandrayaan 2: ISRO के प्रयासों से प्रेरित हुआ NASA, कहा- मिलकर करेंगे सैर प्रणाली की खोज

Highlightsअमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी अपने भारतीय समकक्ष के साथ सौर प्रणाली पर अन्वेषण करना चाहती है।नासा ने कहा हम चंद्रयान 2 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की इसरो की कोशिश की सराहना करते हैं।

नासा ने भारत के ऐतिहासिक चंद्रयान-2 मिशन की सराहना करते हुए कहा है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश ने उसे ‘‘प्रेरित’’ किया है और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी अपने भारतीय समकक्ष के साथ सौर प्रणाली पर अन्वेषण करना चाहती है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका। लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया।

इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है। नासा ने शनिवार को ‘ट्वीट’ किया, ‘‘अंतरिक्ष जटिल है। हम चंद्रयान 2 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की इसरो की कोशिश की सराहना करते हैं। आपने अपनी यात्रा से हमें प्रेरित किया है और हम हमारी सौर प्रणाली पर मिलकर खोज करने के भविष्य के अवसरों को लेकर उत्साहित हैं।’’

पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री जेरी लेनिंगर ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की ‘‘साहसिक कोशिश’’ से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा। लिनेंगर ने कहा, ‘‘ हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है। लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सब कुछ योजना के तहत था।’’

नासा के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर उतरने से संबंधित केवल आधे चंद्रमा मिशनों को ही पिछले छह दशकों में सफलता मिली है। एजेंसी की तरफ से चंद्रमा के संबंध में जुटाए गए डेटा के मुताबिक 1958 से कुल 109 चंद्रमा मिशन संचालित किए गए, जिसमें 61 सफल रहे। करीब 46 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने से जुड़े हुए थे जिनमें रोवर की ‘लैंडिंग’ और ‘सैंपल रिटर्न’ भी शामिल थे। इनमें से 21 सफल रहे जबकि दो को आंशिक रूप से सफलता मिली। सैंपल रिटर्न उन मिशनों को कहा जाता है जिनमें नमूनों को एकत्रित करना और धरती पर वापस भेजना शामिल है।

पहला सफल सैंपल रिटर्न मिशन अमेरिका का ‘अपोलो 12’ था जो नवंबर 1969 में शुरू किया गया था। वर्ष 1958 से 1979 तक केवल अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ ने ही चंद्र मिशन शुरू किए। इन 21 वर्षों में दोनों देशों ने 90 अभियान शुरू किए। इसके बाद जपान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इस्राइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा। रूस द्वारा जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं।

अपोलो 11 अभियान एक ऐतिहासिक मिशन था जिसके जरिए इंसान के पहले कदम चांद पर पड़े। तीन सदस्यों वाले इस अभियान दल की अगुवाई नील आर्मस्ट्रांग ने की। 2000 से 2019 तक 10 मिशन शुरू किए गए जिनमें से पांच चीन, तीन अमेरिका और एक-एक भारत और इजराइल ने भेजे।

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