(अदिति खन्ना)
ग्लासगो, दो नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन के बीच ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 जलवायु शिखर सम्मेलन से इतर रविवार को हुई ‘संक्षिप्त’ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान आतंकवाद से मुकाबले और कुछ अलगाववादी संगठनों की चरमपंथी गतिविधियों पर लगाम लगाने की जरूरत जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के रूपरेखा समझौते (यूएनएफसीसीसी) के लिए पक्षकारों के 26वें शिखर सम्मेलन (सीओपी-26) में वैश्विक नेताओं के सम्मेलन (डब्ल्यूएलएस) के पहले दिन सोमवार को विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से संवाददाताओं ने पूछा कि क्या मोदी एवं जॉनसन के बीच वार्ता के दौरान ब्रिटेन में भारत विरोधी खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का आयोजन करने वाले अलगाववादी समूहों पर भी बातचीत की गई।
इसके जवाब में श्रृंगला ने कहा, ‘‘बैठक बहुत कम समय के लिए हुई, फिर भी इस दौरान दोनों देशों ने कट्टरपंथ को लेकर चिंताएं प्रकट कीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जॉनसन ने इनमें से (अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले) कुछ समूहों पर लगाम लगाने की जरूरत को महसूस किया है। उन्होंने महसूस किया कि ऐसी अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक गतिविधियों को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।’’
संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश सचिव ने विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन के घटनाक्रम की समीक्षा की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने 2070 तक निवल शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए एक ‘‘यथार्थवादी, जिम्मेदार और महत्वाकांक्षी’’ लक्ष्य का जिक्र करते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के योगदान का जिक्र किया।
श्रृंगला ने कहा, ‘‘जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है, उनके लिए जलवायु परिवर्तन आस्था का विषय है और भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को बढ़ चढ़कर पूरा कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोप में भारत में वांछित विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण के विषय पर इस संक्षिप्त द्विपक्षीय बैठक के दौरान विस्तार से चर्चा नहीं हुई, हालांकि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बुधवार को आगामी बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से विचार-विमर्श करने वाले हैं।
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