लाइव न्यूज़ :

ऑटिज्म के लक्षण वाले बच्चों को पहले ही साल में थैरेपी देने के कई लाभ देखे गए

By भाषा | Updated: September 21, 2021 13:17 IST

Open in App

(एंड्रियू व्हाइटहाउस, द यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया; जॉनाथन ग्रीन, यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर और क्रिस्टेले हड्राय, ला त्रोबे यूनिवर्सिटी)

सिडनी/मैनचेस्टर, 21 सितंबर (द कन्वरसेशन) जेएएमए पीडियाट्रिक्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन में पता चला है कि ऐसे बच्चे जिनमें ऑटिज्म के शुरुआती लक्षण हों, उनकी पहले ही साल में थैरेपी शुरू कर देने के बहुत लाभ होते हैं क्योंकि इस आयु में मस्तिष्क तेजी से विकसित हो रहा होता है।

जिन बच्चों को 12 माह की आयु में थैरेपी दी गई उनका तीन साल की उम्र में पुन: आकलन किया गया। पता चला कि उनके व्यवहार में उन बच्चों की तुलना में ऑटिज्म संबंधी बर्ताव मसलन सामाजिक संवाद में मुश्किल आना या बातों का दोहराव करना आदि कम देखे गए, जिन्हें थैरेपी नहीं दी गई थी।

तंत्रिका तंत्र के विकास (न्यूरोडेवलपमेंटल कंडिशन) संबंधी सभी स्थितियों की तरह ही ऑटिज्म में भी यह देखा जाता है कि बच्चा क्या नहीं कर पा रहा है। ‘द डाइनोस्टिक्स ऐंड स्टेटिस्टिकल मैन्युअल’ एक मार्गदर्शिका है जिसमें व्यवहार के बारे में जानकारी दी गई है जिनसे तंत्रिका तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

पहले की तुलना में सामाजिक संवाद कौशल सीखने में अब अधिक बच्चों को मुश्किलें आने लगी हैं जिससे ऑटिज्म विकार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ गई है और अब यह एक अनुमान के मुताबिक यह आबादी का करीब दो फीसदी है। सामाजिक एवं संवाद कठिनाईयां ऐसे बच्चों के वयस्क होने पर उनकी शिक्षा, रोजगार और संबंधों के लिए रूकावट पैदा कर सकती हैं।

इस अध्ययन में जिस थैरेपी का जिक्र आया है उसका उद्देश्य कम उम्र में ही सामाजिक संवाद कौशल बढ़ाने में मदद देना है ताकि आगे जाकर, जब बच्चे बड़े हों तो उन्हें उपरोक्त बताई समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े। थैरेपी का नाम है ‘आईबेसिस-वीआईपीपी’ जिसमें वीआईपीपी का मतलब है ‘वीडियो इंटरेक्शन फॉर पॉजीटिव पेरेंटिंग’। इसका इस्तेमाल ब्रिटेन में सामाजिक संवाद विकास में मदद देने के लिए किया गया। इसमें अभिभावक या बच्चों की देखभाल करने वाले लोग जो बच्चों के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं उन्हें इस बारे में सिखाया जाता है।

थैरेपी में अभिभावकों को बच्चे के संवाद को पहचानना सिखाया जाता है ताकि वे उस पर इस तरह से प्रतिक्रिया दे सकें कि बच्चे का सामाजिक संवाद विकास हो। बच्चे से बात करते अभिभावकों का वीडियो बनाया जाता है और फिर उसके आधार पर प्रशिक्षित थैरापिस्ट उन्हें मार्गदर्शन देते हैं और बताते हैं कि बच्चे के साथ संवाद कैसे बनाए रखा जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतजम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बिजली सकंट, भयंकर ठंड के बीच बिजली की कटौती से लोगों को हो रही परेशानी

क्राइम अलर्टDelhi: जाफराबाद में ताबड़तोड़ गोलीबारी, बाइक सवार हमलावरों ने दो भाइयों का किया मर्डर

क्राइम अलर्टPunjab: मोहाली में कबड्डी प्लेयर की हत्या, कबड्डी टूर्नामेंट के दौरान गोलीबारी; चौंकाने वाला वीडियो वायरल

भारतदिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे पर कोहरे की वजह से भीषण हादसा, बसों और कारों में लगी आग; 4 की मौत

कारोबारPetrol-Diesel Price Today: आज जेब पर कितना पड़ेगा असर? जानिए अपने शहर में ईंधन के लेटेस्ट रेट

विश्व अधिक खबरें

विश्वऑस्ट्रेलियाई सरकार ने चेतावनियों की अनदेखी की !

विश्वChile New President: 35 वर्षों के बाद दक्षिणपंथी सरकार?, जोस एंतोनियो कास्ट ने कम्युनिस्ट उम्मीदवार जेनेट जारा को हराया

विश्वसिडनी बॉन्डी बीच हनुक्का उत्सवः पिता-पुत्र ने 15 लोगों की ली जान, मृतकों की उम्र 10 से 87 वर्ष के बीच, 50 वर्षीय हमलावर पिता ढेर और 24 वर्षीय बेटा घायल

विश्वभारत ही नहीं दुनिया भर में कई देश परेशान?, दक्षिण अफ्रीका ने फर्जी वीजा के साथ देश में आए 16 बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया

विश्वSydney Mass Shooting Video: हिम्मत वाले राहगीर ने हमलावरों में से एक को पकड़ा, गोलीबारी के बीच उसे निहत्था किया