पाकिस्तान में पहली बार हिन्दू ने लहराया परचम, 14 उम्मीदवारों को हराकर बना पहला पाक हिन्दू सांसद
By भारती द्विवेदी | Updated: July 28, 2018 11:09 IST2018-07-28T11:09:13+5:302018-07-28T11:09:13+5:30
महेश के अलावा दो और हिंदू उम्मीदवार ज्ञानचंद और हरिराम ने भी चुनाव जीते हैं। लेकिन वो प्रांतीय सिंध असेंबली के लिए चुन गए हैं।

महेश मलानी
नई दिल्ली, 28 जुलाई: 25 जुलाई को पाकिस्तान में 11वें आम चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। 270 सीट के लिए हुए चुनाव में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ नंबर वन पार्टी बनकर उभरी है। जबकि बाकी की दो पार्टियों को हार का सामना करना पड़ा है। इस आम चुनाव में पाकिस्तान में बहुत कुछ अलग हुआ है। दक्षिणी सिंध प्रांत के थारपरकार जनरल सीट से डॉक्टर महेश कुमार मलानी ने चुनाव जीता है। डॉ. महेश पाकिस्तान में नेशनल असेंबली का चुनाव जीतने वाले पहले हिंदू बन गए हैं। उन्होंने ग्रांड डेमोक्रेटिक अलायंस के उम्मीदवार अरबाब जकाउल्ला को अच्छे वोटों के अंतर से हराया है। 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार के अनुसार, महेश को 37,245 वोट हासिल किए जबकि जकाउल्ला को 18,323 वोट मिले हैं।
महेश के अलावा दो और हिंदू उम्मीदवार ज्ञानचंद और हरिराम ने भी चुनाव जीते हैं। लेकिन वो प्रांतीय सिंध असेंबली के लिए चुन गए हैं।
महेश पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की ओर से NA-222 सीट से खड़े हुए थे। महेश ने 14 लोगों को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की है। महेश साल 2013 के आम चुनाव में भी जीत हासिल की थी। उस चुनाव में वो PS-61 सीट से चुनाव लड़े थे।
डॉ. महेश मलानी कौन हैं?
55 वर्षीय महेश पाकिस्तानी हिंदू राजस्थानी पुष्करना ब्राह्मण नेता हैं। वो नेता होने के साथ ही एक बिजनेसमैन भी हैं। उनका खुद का बिजनेस है। उनकी कंपनी कराची में स्थित है। महेश पिछले दो दशक से वहां की राजनीति में सक्रिय हैं। वो हमेशा से ही लोगों के सपंर्क में रहते हैं। महेश अपने इलाके में सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिमों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। वो साल 2003 से 2008 के बीच पीपीपी की आरक्षित सीट से सांसद भी रहे हैं। इसके अलावा वो पाकिस्तान की अल्पसंख्यक मामलों की समिति समेत कई समितियों के सदस्य रह चुके हैं।
थारपारकर सीट सिंध का सबसा बड़ा जिला है। साल 1998 की जनगणना के अनुसार, यहां पर हिंदुओं की आबादी 41 फीसदी और मुस्लिमों की 59 फीसदी है। बता दें कि पाकिस्तान में साल 2002 में कानून में बदलाव कर गैर-मुस्लिमों को भी वोट करने और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया था। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए 72 सीटें आरक्षित है।
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