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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने जमाल खशोगी की हत्या को बताया 'डरावना', मर्डर के आरोपियों से नजदीकी का लगा है आरोप

By भाषा | Updated: October 25, 2018 17:10 IST

जमाल खशोगी की हत्या में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से कुछ को सऊदी अरब के क्राउन-प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का करीबी माना जाता है।

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रियाद, 25 अक्टूबर (एएफपी) पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले पर सऊदी अरब के शहजादे ने पहली बार सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है। उन्होंने इस घटना को ‘डरावना’ बताते हुए कहा कि इस मामले में न्याय जरूर होगा। 

शहजादा मोहम्मद बिन सलमान ने यहां में एक निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए बुधवार को कहा कि इस घटना के चलते तुर्की के साथ संबंध नहीं बिगड़ेंगे। 

उन्होंने कहा, ‘‘खशोगी प्रकरण का इस्तेमाल कई लोग सऊदी अरब और तुर्की के बीच संबंध खराब करने के लिए कर रहे हैं।' यह सम्मेलन गुरुवार को समाप्त हो रहा है। 

तुर्की के इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में खशोगी की हत्या होने के बाद राजनयिक संकट पैदा हो गया है। 

सलमान ने बुधवार को ‘फ्यूचर इंवेशटमेंट इनिशियेटिव फोरम’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सऊदी के लोगों के लिए यह घटना बेहद दुखद है। यह डरावनी घटना है और कोई भी इसे सही नहीं ठहरा सकता है।' 

उन्होंने ‘‘डावोस इन द डेजर्ट’’ सम्मेलन में कहा, ‘‘ जो जिम्मेदार होंगे, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा और न्याय होगा।' 

गौरतलब है कि महिला चालकों पर लगे प्रतिबंध को खत्म करने सहित अपने देश में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए शहजादे की पिछले एक साल में काफी सराहना हुई है। लेकिन खशोगी की हत्या के बाद से उनकी छवि धूमिल हुई है। हालांकि, उन्होंने इस घटना में अपनी संलिप्तता से बार - बार इनकार किया है। 

जमाल खशोगी हत्याकांड में सऊदी अरब मीडिया कर रहा है प्रिंस का बचाव

लेखक एवं पत्रकार जमाल खशोगी के मामले में जहां एक ओर पूरे विश्व का मीडिया सऊदी शासकों को अपने निशाने पर लिए हुए है, वहीं सऊदी मीडिया पूरी तरह से उनके साथ एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है। इसकी वजह यह मानी जा रही है कि स्थानीय मीडिया सऊदी अरब के पैसे की ताकत से दबा हुआ है।

खशोगी की तुर्की के इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में दो अक्टूबर को हत्या कर दी गई थी। इस घटना के सामने आने और सऊदी अरब का इसमें हाथ होने की गहराती आशंकाओं के चलते यह मामला दुनियाभर की मीडिया में छाया हुआ है। इसके बाद भी सऊदी अरब के मीडिया पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा। 

सऊदी मीडिया की खबरों में उसी बात की पुष्टि होती है जिसे सऊदी शासक दोहराते आ रहे हैं या फिर उसमें ऐसी खबरें होती हैं जिनमें यह कहा जाता है कि सऊदी अरब से रंजिश रखने वाले देश कतर और तुर्की उनके देश की राजशाही को डगमगाने का प्रयास कर रहे हैं। 

माना जाता है कि सऊदी सल्तनत ने मोरक्को से लेकर इराक तक के अखबारों और टेलीविजन स्टेशनों पर लाखों डॉलर खर्च किए हैं, ताकि उसका असर बरकरार रहे। कुछ मामलों में मीडिया में निवेश भी किया गया है लेकिन अधिकतर मामलों में उन्हें सीधे धन उपलब्ध कराया गया है। सऊदी अरब स्वतंत्र लेखकों और टेलीविजन से जुड़े लोगों को नकदी भी मुहैया कराता रहा है। ऐसी जानकारी 2015 में विकीलीक्स के जरिए बाहर भी आई थी।

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