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इजराइल जल्द कर सकता है ईरान पर हमला, इजराइली नेता ने लेख में गिनाए कारण

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 19, 2021 16:49 IST

आखिर ईरान को लेकर इजराइल में बेचैनी क्यों है? क्या इजराइल आगे चलकर ईरान पर हमला कर सकता है? जानिए क्यों लगाई जा रही हैं ऐसी अटकलें...

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इस महीने के अंत में वैश्विक शक्तियों के प्रतिनिधियों और ईरान के बीच वियना में बैठक होगी। इसमें 2015 की ईरान परमाणु समझौते को फिर से अमल में लाने पर चर्चा होगी। इस बैठक की चर्चा के बीचसंयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल ने ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया है। 

आखिर इस बैठक में क्या होगा, ये भविष्य की बात है लेकिन अमेरिका में इजराइल के राजदूत रहे और इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय में उप-मंत्री रह चुके माइकल ओरेन के मुताबिक ईरान के परमाणु हथियार से जुड़ा मुद्दा इस समय अमेरिका से ज्यादा इजराइल के लिहाज से अहम है।

आखिर ईरान को लेकर इजराइल में बेचैनी क्यों है? क्या इजराइल आगे चलकर ईरान पर हमला कर सकता है? जानिए क्यों बन रहे हैं ऐसे कारण? माइकल ओरेन ने कुछ कारण गिनाए हैं।

- ईरान अगर परमामु हथियार बनाने में सफल होता है तो मध्य पूर्व के अन्य देशों में भी इसे हासिल करने की ललक होगी। ये इजराइल के लिए भी खतरे वाली बात होगी।

- अमेरिका और इजराइल दोनों ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना चाहते हैं। हालांकि एक अंतर भी है। अमेरिका जहां उस ईरान के साथ कुछ हद तक चल सकता है जिसमें बम बनाने की क्षमता हो पर इजराइल के लिए इसे स्वीकार करना लगभग असंभव है।

- हाल में अमेरिका और इजराइल के दृष्टिकोण में अंतर उस समय भी नजर आया था जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटली ब्लिंकन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनके प्रशासन का हमेशा ये मत रहा है कि ईरान को परमणु हथियार हासिल करने नहीं दिया जा सकता है। वहीं, इजराइल के विदेश मंत्री येर लैपिड ने कहा कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की दहलीज पर पहुंच रहा और इरजराइल ये नहीं होने दे सकता है।

- दरअसल, परमाणु हथियार की 'दहलीज' के मायने ये हुए कि एक बम बनाने के लिए सभी जरूरी सामान मौजूद हो गए हैं। हथियार बनाने के लिए आवश्यक 90% स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध करने में अधिकतम दो साल तक का समय लगता है। हालांकि, यूरेनियम के मामले में 60% तक की समृद्धी हासिल कर ईरान ने इस पूरी प्रक्रिया का सबसे लंबा चरण पूरा कर लिया है। 

- परमाणु हथियार की दहलीज ईरानी समर्थित आतंकवादियों को एक सुरक्षा प्रदान कर सकती है। हिज्बुल्लाह या हमास के रॉकेट हमलों के जवाब में इजराइल की कार्रवाई के बदले ईरान से आवाज उठती हैं तो उसके (इजराइल) लिए खुद की रक्षा करना अधिक मुश्किल साबित होगा।

- इस तरह का डर अमेरिका के लिए नहीं है। दरअसल वह ईरान से दूर है और उसके विनाश के लिए ईरान खतरा नहीं है। साथ ही अमेरिका एक और विदेशी संघर्ष में अभी नहीं उलझना चाहेगा। इस कारण से बाइडेन प्रशासन ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने का वचन तो देता है, लेकिन ईरान को परमाणु बमों को बनाने की क्षमता प्राप्त करने से रोकने पर जोर नहीं होगा।

- परमाणु समझौते को लेकर बात शुरू होने वाली है। ऐसे में इजराइल की नजर इसी पर होगी कि ईरान टालमटोल करने की कोशिश नहीं करे। अमेरिका भले ही फिलहाल हिचक रहा हो लेकिन अगर बात बनती नजर नहीं आएगी तो संभव है कि इजराइल बड़ी कार्रवाई कर सकता है। 

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