स्वतंत्र, खुला व समावेशी हिंद-प्रशांत की भारतीय दृष्टि आसियान केंद्रीयता पर आधारित है: जयशंकर

By भाषा | Published: April 19, 2021 09:44 PM2021-04-19T21:44:25+5:302021-04-19T21:44:25+5:30

Indian vision of an independent, open and inclusive Indo-Pacific is based on ASEAN centrality: Jaishankar | स्वतंत्र, खुला व समावेशी हिंद-प्रशांत की भारतीय दृष्टि आसियान केंद्रीयता पर आधारित है: जयशंकर

स्वतंत्र, खुला व समावेशी हिंद-प्रशांत की भारतीय दृष्टि आसियान केंद्रीयता पर आधारित है: जयशंकर

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 19 अप्रैल भारत ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि हिंद-प्रशांत के स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी क्षेत्र के रूप में उसके दृष्टिकोण का आधार आसियान केंद्रीयता और समृद्धि की तलाश है। इसके साथ ही भारत ने आतंकवाद, चरमपंथ और संगठित अपराध की समकालीन सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सीमा पार समन्वित और ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "हम समझते हैं कि संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग समकालीन चुनौतियों और टकरावों का सफलतापूर्वक समाधान करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।"

उन्होंने ‘‘संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय एवं उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने’’ विषय पर खुली बहस को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्षों के दौरान संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग का तर्कसंगत मूल्यांकन "हमारे भविष्य के संवादों के लिए एक अच्छा आधार प्रदान करेगा।"

जयशंकर ने कहा कि भारत ने परंपरागत रूप से क्षेत्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण सहयोग कायम रखा है तथा आसियान के साथ भारत के संबंध इसकी विदेश नीति और इसकी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति की नींव है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र के रूप में हिंद-प्रशांत के संबंध में भारत की दृष्टि आसियान केंद्रीयता और प्रगति तथा समृद्धि की आम तलाश पर आधारित है।

जयशंकर ने ‘बिम्सटेक’ ढांचे के तहत क्षेत्रीय सहयोग आगे बढ़ाने और संगठन को मजबूत, गतिशील तथा अधिक प्रभावी बनाने के साथ-साथ परिणामोन्मुख बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता जतायी।

जयशंकर ने कहा कि सदस्य राष्ट्रों द्वारा सामना किए जाने वाले खतरों की प्रकृति 75 साल पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय की तुलना में बदल गई है।

उन्होंने कहा कि समकालीन सुरक्षा चुनौतियां क्षेत्रीय या राजनीतिक विवादों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये भौतिक या राजनीतिक सीमाओं को पार करती हैं। उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक दुनिया में, आतंकवाद, चरमपंथ, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति है। नयी प्रौद्योगिकियों के सुरक्षा निहितार्थों की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

अफ्रीका के साथ भारत के सदियों पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘हमारे अफ्रीकी संघ के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं, खासकर विकास साझेदारी पहल के लिए।

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