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France Election Result 2024 live: वामपंथी गठबंधन ने फ्रांसीसी संसद में सबसे अधिक सीटें जीतीं, राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन का क्या होगा?

By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 8, 2024 13:22 IST

France Election Result 2024 live: राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन दूसरे, जबकि धुर-दक्षिणपंथी दल तीसरे स्थान पर है।

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ठळक मुद्देFrance Election Result 2024 live: राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा जुआ खेला है।France Election Result 2024 live: बहुमत न मिलने से फ्रांस में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। France Election Result 2024 live: नेशनल असेंबली पर किसका नियंत्रण होगा तथा प्रधानमंत्री कौन बनेगा।

France Election Result 2024 live: फ्रांस में संसदीय चुनाव के लिए रविवार को हुए दूसरे चरण के मतदान हुआ था। सोमवार सुबह से धीरे-धीरे नतीजे आ रहे हैं। नया वामपंथी गठबंधन सबसे अधिक सीट जीत रहा है। मरीन ले पेन की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ रहा है। वामपंथी गठबंधन ने फ्रांसीसी संसद में सबसे अधिक सीटें जीती हैं। किसी भी पार्टी के पूर्ण बहुमत हासिल करने के करीब नहीं आने के बाद फ्रांस राजनीतिक अधर में लटक जाएगा। राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन दूसरे, जबकि धुर-दक्षिणपंथी दल तीसरे स्थान पर है।

फ्रांस में हुए संसदीय चुनाव में वामपंथी गठबंधन ने रविवार को धुर-दक्षिणपंथी दलों को शिकस्त देते हुए सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। हालांकि, वह बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा, जिससे देश में राजनीतिक संकट गहराने के साथ ही त्रिशंकु संसद की आशंका बढ़ गई है। फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

यूक्रेन में युद्ध, वैश्विक कूटनीति तथा यूरोप की आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा दांव खेला था। उन्होंने कहा था कि एक बार फिर मतदाताओं के बीच जाने से स्थिति ‘स्पष्ट’ होगी।

हालांकि, उनका यह दांव लगभग हर पड़ाव पर उल्टा पड़ता दिखा है। सोमवार को जारी आधिकारिक नतीजों के मुताबिक, संसदीय चुनाव में तीनों प्रमुख गठबंधन में से कोई भी 577 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों का जादुई आंकड़ा नहीं हासिल कर सका।

नतीजों के अनुसार, वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ 180 से अधिक सीटों पर जीत के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि मैक्रों नीत मध्यमार्गी गठबंधन के खाते में 160 से ज्यादा सीटें गईं और वह दूसरे स्थान पर रहा। वहीं, मरीन ले पेन के नेतृत्व वाली धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ‘नेशनल रैली’ और उसके सहयोगी दलों को 140 से अधिक सीटों पर जीत के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।

हालांकि, ‘नेशनल रैली’ का यह प्रदर्शन 2022 के उसके प्रदर्शन से कहीं बेहतर है, जब पार्टी को 89 सीटें हासिल हुई थीं। आधुनिक फ्रांस को अभी तक त्रिशंकु संसद का सामना नहीं करना पड़ा है। प्रधानमंत्री गैब्रियल अटल ने कहा, “हमारा देश एक अभूतपूर्व राजनीतिक स्थिति का सामना कर रहा है।

वह अगले कुछ हफ्तों में दुनिया का स्वागत करने की तैयारियों में जुटा है।” अटल सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि पेरिस ओलंपिक के मद्देनजर वह ‘जब तक जरूरत है’, तब तक पद पर बने रहने के लिए तैयार हैं। वहीं, मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल के तीन साल बचे हुए हैं।

किसी भी एक गठबंधन को बहुमत न मिलने से फ्रांस में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा जुआ खेला है।

इस मध्यावधि चुनाव के परिणाम से यूरोपीय वित्तीय बाजारों, यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के समर्थन और वैश्विक सैन्य बल एवं परमाणु शस्त्रागार के प्रबंधन के फ्रांस के तौर-तरीके पर काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है। इस चुनाव में करीब चार करोड़ 90 लाख मतदाता मतदान के लिए पंजीकृत थे और यह चुनाव तय करेगा कि नेशनल असेंबली पर किसका नियंत्रण होगा तथा प्रधानमंत्री कौन बनेगा।

अगर मैक्रों की पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो उन्हें यूरोपीय संघ-समर्थक नीतियों का विरोध करने वाले दलों के साथ सत्ता साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इससे पहले 30 जून को पहले चरण का चुनाव हुआ था, जिसमें मरीन ले पेन नीत ‘नेशनल रैली’ ने बढ़त बनाई थी। चुनाव परिणाम को लेकर अब भी अनिश्चितता है।

इससे पहले सर्वेक्षणों में अनुमान जताया गया था कि ‘नेशनल रैली’ 577 सीट वाली नेशनल असेंबली में सबसे अधिक सीट जीत सकती है, लेकिन वह बहुमत के लिए आवश्यक 289 सीट संभवत: नहीं जीत पाएगी। ‘नेशनल रैली’ का नस्लवाद और यहूदी-विरोधी भावना से पुराना संबंध है तथा यह फ्रांस के मुस्लिम समुदाय की विरोधी मानी जाती है।

अनेक फ्रांसीसी मतदाता महंगाई और आर्थिक चिंताओं से परेशान हैं। वे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व से भी निराश हैं। मरीन ले पेन की आव्रजन विरोधी ‘नेशनल रैली’ पार्टी ने इस असंतोष को चुनाव में भुनाया है। नया वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ भी व्यापार समर्थक मैक्रों और उनके मध्यमार्गी गठबंधन ‘टुगेदर फॉर द रिपब्लिक’ के लिए चुनौती पेश कर रहा है।

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