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काम और प्रजनन के बीच संतुलन बनाने में प्रजनन अवकाश हो सकता है मददगार

By भाषा | Updated: November 26, 2021 14:24 IST

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मैरिएन बेयर्ड, एलिजाबेथ हिल और सिडनी कॉलुसी, सिडनी विश्वविद्यालय,

सिडनी, 26 नवंबर (द कन्वरसेशन) काम और देखभाल अथवा ‘‘उत्पादन’’ और ‘‘प्रजनन’’ की प्रतिस्पर्धी मांगों को संतुलित करना पारंपरिक रूप से महिलाओं द्वारा उठाया जाने वाला बोझ है।

बहुत सी महिलाओं को इस बोझ की व्यक्तिगत कीमत चुकानी पड़ती है। हमारे शोध में शामिल महिलाओं का यह कहना असामान्य नहीं है कि वह अपने बच्चों या घर के बुजुर्गों की देखभाल का दायित्व निभाते रहने के लिए पदोन्नति छोड़ देती हैं, या अंशकालिक काम करती हैं, और कम कमाती हैं, क्योंकि पूर्णकालिक नौकरियां बहुत समय और मेहनत मांगती हैं।

लेकिन व्यक्तिगत लागत से परे, महिलाओं के इस समझौते का संबद्ध देश की अर्थव्यवस्था, कार्यस्थलों और लैंगिक समानता पर प्रभाव पड़ता है।

ऑस्ट्रेलिया में, कोविड-19 के बाद यह प्रजनन दर में गिरावट और श्रम बाजार से महिलाओं के हटने के रूप में परिलक्षित होता है।

भविष्य में प्रजनन दर प्रति महिला लगभग 1.6 बच्चों के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरने की भविष्यवाणी की गई है, जो दर्ज आंकड़ों की सबसे कम दरों में से एक है। यह ‘‘प्रतिस्थापन स्तर’’ से नीचे है, जो पहले से ही तनावग्रस्त कार्यबल पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है।

दशकों के विकास के बाद, रोजगार में महिलाओं की भागीदारी भी कम हो रही है, जो संभवत: लॉकडाउन के चल रहे तनाव और काम और देखभाल की जिम्मेदारियों के पुनर्मूल्यांकन से प्रेरित है।

ये रुझान ऑस्ट्रेलिया में उत्पादन और प्रजनन की स्थिति की एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं। लेकिन हम युवा लोगों को काम और देखभाल को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने में बेहतर मदद करने के लिए नीति में बदलाव कर सकते हैं। इन्हीं में से एक है प्रजनन अवकाश।

ऑस्ट्रेलिया में, साथ ही ब्रिटेन, भारत और न्यूजीलैंड जैसे देशों में, ‘‘प्रजनन अवकाश’’ काम और मानव प्रजनन के बीच तनाव के लिए एक अभिनव प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है। इन नीतियों का उद्देश्य श्रमिकों को उनकी प्रजनन आवश्यकताओं, यौन स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के साथ उनके कार्य दायित्वों को संतुलित करने में सहायता करना है।

ये नीतियां उन श्रमिकों को सहायता प्रदान कर सकती हैं जो एक परिवार शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं, या किसी ऐसे व्यक्ति को जो मानव शरीर की कुछ जटिल जरूरतों का प्रबंधन कर रहा है, जिसके लिए जीवन के दौरान विभिन्न स्तरों पर ध्यान और रखरखाव की आवश्यकता होती है।

उदाहरण के लिए, इस बात के प्रमाण हैं कि ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं को आईवीएफ उपचार की मांगों को कार्यालयीन दायित्वों के साथ संतुलित करने में मुश्किल होती हैं। इस बात के भी आंकड़े मौजूद हैं कि महिलाओं को महावारी के दौरान कार्यालय से अनुपस्थित होना पड़ता है।

हम इस क्षेत्र में कार्यस्थल नीतियों की एक विस्तृत श्रृंखला देखना शुरू कर रहे हैं।

2020 में, विक्टोरिया में हेल्थ एंड कम्युनिटी सर्विसेज यूनियन ने अपनी एक विशेष उद्यम प्रक्रिया के हिस्से के रूप में प्रजनन स्वास्थ्य और कल्याण अवकाश की बात पर जोर देना शुरू किया। इस दावे में मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, गर्भपात और मृत शिशुजन्म, प्रजनन उपचार, पुरुष नसबंदी और इसी तरह की कुछ अन्य समस्याओं के लिए भुगतान सहित छुट्टी और कार्य शर्तों में बदलाव का सुझाव दिया गया।

इस साल की शुरुआत में, एक अन्य कंपनी फ्यूचर सुपर ने मासिक धर्म और रजोनिवृत्ति के लिए भुगतान अवकाश की घोषणा की, महिलाओं के अधोवस्त्र बनाने वाली ऑस्ट्रेलियाई स्वामित्व वाली कंपनी मोदिबोडी ने भी कुछ ऐसा ही किया था।

ग्लोबल म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म स्पोटिफाई ने हाल ही में कर्मचारियों के लिए घोषित कल्याणकारी उपायों के लिए सुर्खियां बटोरीं, जब उसने बताया कि वह कर्मचारियों को आईवीएफ उपचार, डोनर सेवाओं और प्रजनन मूल्यांकन के लिए आजीवन भत्ता प्रदान करता है।

प्रजनन अवकाश कोई नई अवधारणा नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में, ये नीतियां 2000 के दशक की शुरुआत में मौजूद थीं, जब सिडनी विश्वविद्यालय में छात्र प्रतिनिधि परिषद और ऑस्ट्रेलियाई विनिर्माण श्रमिक संघ मासिक धर्म की छुट्टी के प्रावधान पर दो अलग-अलग औद्योगिक विवादों में शामिल थे।

लेकिन प्रजनन अवकाश को लेकर इधर नये सिरे से चर्चा चल रही है, जो काम और व्यक्तिगत जीवन के जटिल उलझाव की बढ़ती स्वीकृति को प्रदर्शित करती है।

आधुनिक कार्यस्थलों में काम करने और जैविक तथा सामाजिक प्रजनन पर ध्यान देने के लिए एक अभियान की शुरूआत की गई है। अगर साफ शब्दों में कहें तो अगर हमने अभी प्रजनन की जरूरतों और आज के कर्मचारियों तथा करदाताओं की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया तो हमारे पास श्रमिकों और करदाताओं की अगली पीढ़ी होगी ही नहीं।

प्रजनन अवकाश की संभावित कमियों को स्वीकार करना नीतिगत बातचीत का हिस्सा होना चाहिए। इन नीतियों को सावधानी से अपनाया जाना चाहिए और इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए जिससे लैंगिक रूढ़िवादिता के जोखिम को कम किया जा सके।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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