फेसबुक विज्ञापनों ने लिंग, जाति और उम्र आधारित भेदभाव बढाया

By भाषा | Updated: October 3, 2021 15:11 IST2021-10-03T15:11:27+5:302021-10-03T15:11:27+5:30

Facebook ads increase gender, race and age discrimination | फेसबुक विज्ञापनों ने लिंग, जाति और उम्र आधारित भेदभाव बढाया

फेसबुक विज्ञापनों ने लिंग, जाति और उम्र आधारित भेदभाव बढाया

(मोनाश विश्वविद्यालय से मार्क आंद्रेजेविक, क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से अब्दुल करीम ओबेद, डैनियल एंगस और जीन बर्गेस)

मेलबर्न, तीन अक्टूबर (द कन्वरसेशन) सोशल मीडिया मंच ने ऑनलाइन विज्ञापनों के तौर तरीकों को बदल दिया है साथ ही भेदभाव के नये तरीकों और विपणन के ढंग ने भी नयी चिंताओं को जन्म दिया है।

आज आरएमआईटी के नेतृत्व में एक बहु-विश्वविद्यालय इकाई एआरसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ऑटोमेटेड डिसीजन मेकिंग एंड सोसाइटी (एडीएम प्लस एस) ने ऑस्ट्रेलिया में विज्ञापन वेधशाला आरंभ की। इस शोध परियोजना से यह पता लगाया जाएगा कि कैसे सोशल मीडिया मंच विज्ञापनों के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया के उपयोगकर्ताओं तक पहुंचते हैं। इसका लक्ष्य ऑनलाइन विज्ञापन में सार्वजनिक पारदर्शिता की आवश्यकता के बारे में बातचीत को बढ़ावा देना है।

‘डार्क एड’ के खतरे

मास मीडिया के युग में विज्ञापन (अधिकांश भाग के लिए) सार्वजनिक थे। इसका मतलब था कि यह जांच के लिए भी खुले थे। जब विज्ञापनदाताओं ने अवैध या गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया, तो परिणाम सबके सामने थे। विज्ञापन का इतिहास गैर-जिम्मेदार व्यवहार से भरा हुआ है। हमने देखा है कि तंबाकू और अल्कोहल (शराब) कंपनियां महिलाओं, कम उम्र के लोगों और सामाजिक रूप से वंचित समुदायों को किस प्रकार से लक्षित करती हैं। हमने इनमें लैंगिक और नस्ल को निशाना बनाते देखा है। हाल में गलत सूचना का प्रसार एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है।

जब ये चीजें खुले तौर पर होती हैं तो मीडिया के प्रहरी, नागरिक और नियामक उस पर प्रतिवाद कर सकते हैं,वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन विज्ञापन जो खास लोगों के लिए बनाए जाते है और उनके निजी उपकरणों पर साझा किए जाते है, उनकी जनता के प्रति जवाबदेही कम हुई है।

ये तथाकथित ‘डार्क एड’ केवल लक्षित उपयोगकर्ता को दिखते हैं। उनका पता लगाना कठिन होता है क्योंकि विज्ञापन कुछ ही समय तक दिखने के बाद गायब हो जाता है। साथ ही उपयोगकर्ता को यह नहीं पता होता है कि वे जिस विज्ञापन को देख रहे हैं क्या वे दूसरों को दिखाए जा रहे हैं।

गंभीर परिणाम

विज्ञापनों के साथ उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने के लिए फेसबुक द्वारा नियोजित स्वचालित प्रणालियों के साथ-साथ विज्ञापनदाताओं को प्रदान की जाने वाली सिफारिशों में पारदर्शिता की कमी है।

मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया के तीन चौथाई उपयोगकर्ताओं ने कहा है कि फेसबुक को अधिक पारदर्शी होना चाहिए। फेसबुक की ऑनलाइन विज्ञापन लाइब्रेरी अपने लक्षित विज्ञापन व्यवहारों में कुछ स्तर की दृश्यता प्रदान करती है, लेकिन यह व्यापक नहीं है।

जनता की रूचि की आवश्यकता पर शोध

पूर्व में अपनी असफलताओं के बावजूद फेसबुक जवाबदेही सुनिश्चित करने के बाहरी प्रयासों के प्रति शत्रुतापूर्ण भाव रखता रहा है। उदाहरण के लिए कंपनी ने हाल ही में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं से अपने उस शोध को बंद करने की मांग की जिसमें यह पता लगाया जा सकेगा कि कैसे फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापनों को लक्षित किया जाता है। लेकिन जब शोधकर्ताओं ने ऐसा करने से मना किया तो फेसबुक ने अपने मंच तक उनकी पहुंच बंद कर दी।

हालांकि, संघीय व्यापार आयोग ने सार्वजनिक रूप से इस दावे को खारिज कर दिया और सार्वजनिक हित में अनुसंधान के लिए अपने समर्थन पर जोर दिया जिसका उद्देश्य ‘‘विशेष रूप से निगरानी आधारित विज्ञापन के आसपास अपारदर्शी व्यावसायिक चलन पर प्रकाश डालना’’ है। सोशल मीडिया मंच को निश्चित तौर पर उनके विज्ञापन के तरीके के लिए सार्वभौमिक पारदर्शिता प्रदान करनी चाहिए।

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Web Title: Facebook ads increase gender, race and age discrimination

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