अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद यूरोप को शरणार्थी संकट पैदा होने का डर

By भाषा | Updated: August 21, 2021 14:05 IST2021-08-21T14:05:04+5:302021-08-21T14:05:04+5:30

Europe fears refugee crisis after Taliban rule in Afghanistan | अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद यूरोप को शरणार्थी संकट पैदा होने का डर

अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद यूरोप को शरणार्थी संकट पैदा होने का डर

हांगेदिगी (तुर्की), 21 अगस्त (एपी) तुर्की को ईरान से अलग करनी वाली 540 किलोमीटर लंबी सीमा का केवल एक तिहाई हिस्सा ही बंद है और बाकी का हिस्सा खुला है जो मध्य एशिया से यूरोप आने वाले शरणार्थियों का मुख्य मार्ग है और पिछले कुछ वर्षों में यहां हलचल बहुत कम है लेकिन तुर्की के साथ ही यूरोपीय देशों को डर है अफगानिस्तान में तालिबान के अचानक सत्ता पर कब्जा जमाने से यह स्थिति बदल सकती है।सीरियाई युद्ध से पैदा हुए 2015 के शरणार्थी संकट से खौफजदा यूरोपीय नेता अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में शरणार्थियों को आने से रोकना चाहते हैं। वे केवल उन्हीं शरणार्थियों को पनाह देना चाहते हैं जिन्होंने देश के दो दशक तक चले युद्ध में पश्चिमी सेनाओं की मदद की। अफगान नागरिकों के लिए यूरोप का संदेश है : अगर आपको देश छोड़ना है तो पड़ोसी देशों में जाइए लेकिन यहां मत आइए।यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने इस हफ्ते गृह मंत्रियों की एक बैठक में कहा कि 2015 के संकट से ली गयी सबसे महत्वपूर्ण सीख यह है कि अफगान नागरिकों को उनके देश से न जाने दिया जाए और फौरन बिना किसी मानवीय सहायता के वे देश छोड़ना शुरू करेंगे। इस संबंध में एक गोपनीय जर्मन राजनयिक मेमो द एसोसिएटेड प्रेस ने प्राप्त किया है।यहां तक कि 2015 के बाद से सबसे अधिक सीरियाई नागरिकों को शरण देने वाले जर्मनी ने भी अलग तेवर दिखाए हैं। कई जर्मनी नेताओं ने पिछले हफ्ते आगाह किया कि 2015 का शरणार्थी संकट फिर से पैदा नहीं होना चाहिए।फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति का परिणाम अकेले यूरोप नहीं भुगत सकता। यूरोपीय संघ से 2020 में अलग होने वाले ब्रिटेन ने कहा कि वह इस साल 5,000 अफगान शरणार्थियों का स्वागत करेगा और आने वाले वर्षों में कुल 20,000 अफगान नागरिकों का पुनर्वास करेगा। इसके अलावा बहुत कम यूरोपीय देशों ने शरणार्थियों को पनाह देने की पेशकश दी है। यूरोपीय संघ के गृह मामलों के आयुक्त यल्वा जॉनसन ने कहा कि यूरोप को उस दिन का इंतजार नहीं करना चाहिए जब लोग हमारी बाहरी सीमा पर खड़े हो जाए।तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोआन ने बृहस्पतिवार को दिए भाषण में कहा, ‘‘तुर्की का यूरोप का शरणार्थी स्थल बनने का कोई कर्तव्य, जिम्मेदारी या दायित्व नहीं है।’’ उन्होंने शुक्रवार को अफगानिस्तान से विस्थापन को लेकर यूनान के प्रधानमंत्री से बात की और ईरान के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के अनुमान के मुताबिक, अफगान के 26 लाख शरणार्थियों में से 90 प्रतिशत देश के बाहर ईरान और पाकिस्तान में रहते हैं। पिछले साल 44,000 अफगान नागरिकों ने 27 देशों के यूरोपीय संघ में पनाह के लिए आवेदन दिया था।

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