बेंगलुरु, 19 नवंबर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को कहा कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा दर्शाती है कि वह कितने संवेदशनशील हैं।
उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि इन कानूनों के खिलाफ किसानों के लगभग एक साल से चल रहे विरोध प्रदर्शन के आगे सरकार को झुकना पड़ा।
बोम्मई ने कहा कि तीनों कृषि कानून 1991-1992 में आरंभ हुई उदारीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा थे और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ किए गए समझौते के अनुरूप थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह झुकने का सवाल नहीं है। उदारीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया 1991-1992 में आरंभ हुई। इसके तहत कई कानून बनाए जाने थे। इसके बाद संप्रग सरकार ने डब्ल्यूटीओ में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। कृषि सुधार और कृषि बाजार सुधार भी इसका हिस्से थे।’’
बोम्मई के मुताबिक संप्रग सरकार के दौरान मसौदा विधेयक लंबित था और इसमें कुछ बदलाव करते हुए और सभी राज्यों की सहमति लेते हुए किसानों को उनका उचित लाभ देने का फैसला किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसान विनियमित बाजार व्यवस्था के लिए अड़ गए और उन्होंने करीब साल भर प्रदर्शन किया।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसान नेताओं को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे सहमत नहीं हुए।
बोममई ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को संसद के अगले सत्र में वापस लेने की घोषणा की है। यह एक संवेदनशील सरकार है। हमने किसानों की मांग के अनुरूप कदम उठाया है।’’
उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से कोई लेना-देना है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन प्रदर्शनों के बावजूद हमने उपचुनावों में जीत दर्ज की है। इस निर्णय का आगामी चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है। प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि कुछ और चर्चा आवश्यक है और इसीलिए सरकार ने महसूस किया कि कृषि कानूनों को वापस लेने से जनता में विश्वास पैदा होगा।’’
पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येद्दियुरप्पा ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि किसान इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘देश के किसानों की तरफ से मैं प्रधानमंत्री को बधाई देता हूं।’’
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।
इन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे थे।
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