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घबराहट, अवसाद के उपचार, गंभीर मनोवैज्ञानिक घावों को भरने में मददगार है नृत्य थेरेपी

By भाषा | Published: September 04, 2021 1:58 PM

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(वायने स्टेट यूनवर्सिटी में पीएचडी छात्र एवं ग्रैजुएट रिसर्च फेलो लाना रुवोलो ग्रासर) डेट्रॉयट (अमेरिका), चार सितंबर (द कन्वरसेशन) कुछ साल पहले अमेरिका के डेट्रॉयट में एक अपार्टमेंट में शरणार्थी के तौर पर रह रहे पश्चिम एशिया एवं अफ्रीका के करीब 15 बच्चों के समूह ने नीले, गुलाबी और सफेद रंग के स्ट्रीमर्स को लहराकर झूमने और नाचने का कार्यक्रम शुरू किया। ये कोई सामान्य स्ट्रीमर्स नहीं थे। ये नकारात्मक विचारों, अनुभवों और यादों से ग्रस्त थे। बच्चों पर इस कार्यक्रम का बेहद सकारात्मक असर देखने को मिला। ये बच्चे कतार में खड़े होकर एक सुर में इन स्ट्रीमर्स को हवा में उड़ाते और पास में बैठ जाते। इसके बाद वे गिरे हुए स्ट्रीमर्स को इकट्ठा कर उन्हें कचरे के डिब्बे में डालकर अपनी नकारात्मकता को अलविदा कहते। लाना ने कहा कि हमारी टीम के अनुसंधान कार्यक्रम के तहत ये बच्चे नृत्य थेरेपी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के उपचार के लिए शारीरिक क्रियाओं को शामिल किया गया था। 2017 में हमारे लैब ‘स्ट्रेस ट्रॉमा एंड एंजाइटी रिसर्च क्लिनिक’ ने शरणार्थी परिवारों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने के लिए मुहिम के तहत इस थेरेपी की शुरुआत की जो न सिर्फ खुद को अभिव्यक्त करने का एक जरिया बना बल्कि इसने तनाव को दूर करने की जीवनपर्यंत रणनीति की दिशा में रास्ता दिखाया। औसतन हर साल पश्चिमी देशों में करीब 60,000 बच्चे शरणार्थी के तौर पर आते हैं। अब अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद शरणार्थी संकट फिर से गहरा गया है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का आकलन है कि पिछले 40 वर्ष में करीब 60 लाख अफगान विस्थापित हुए हैं और तालिबान के शासन संभालने के बाद लाखों लोगों के विस्थापित होने की नयी लहर शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि मैं एक न्यूरोसाइंटिस्ट हूं और यह समझने का प्रयास करती हूं कि कैसे आघात बढ़ते युवाओं के तंत्रिका तंत्र को नया आकार देता है। मैं इस जानकारी का उपयोग तनाव और चिंता को रचनात्मक कलाओं और नाचने-झूमने पर आधारित निदान माध्यम से दूर करने के तरीके का पता लगाने के लिए करती हूं। शरीर को एक खास तरीके से हिलाने-झूमने की वृत्ति उतनी ही पुरानी है जितनी कि मानवता। लेकिन मानसिक स्वास्थ्य उपचार में हाल में नृत्य चिकित्सा जैसी झूम-आधारित रणनीतियों पर अधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि मैं खुद एक नर्तकी हूं और मैंने हमेशा ही नाच-झूम के माध्यम से अशाब्दिक भावनात्मक अभिव्यक्ति को अविश्वसनीय रूप से चिकित्सीय पाया। खासकर जब मैं हाई स्कूल और कॉलेज में चिंता और अवसाद का अनुभव करती थी। अब अपने तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान के माध्यम से मैं उन विद्वानों की बढ़ती संख्या में शामिल हो रही हूं जो झूम-आधारित उपचार विधि का समर्थन करने के लिए मजबूत साक्ष्य आधार जुटाने पर काम कर रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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