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म्यांमा के जुंटा शासन के तहत मानवता के खिलाफ अपराध हुआ : संरा जांचकर्ता

By भाषा | Updated: November 6, 2021 19:52 IST

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संयुक्त राष्ट्र, छह नवंबर (एपी) म्यांमा में सबसे गंभीर अपराधों की जांच कर रहे संयुक्त राष्ट्र निकाय के प्रमुख ने कहा कि एक फरवरी को सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने के बाद से अबतक एकत्र प्राथमिक सबूतों से पता चलता है कि आम लोगों पर बड़े पैमाने पर व्यवस्थित तरीके से हमले किए गए जो ‘‘मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आता है।’’

निकोलस कोउमजियान ने संयुक्त राष्ट्र पत्रकारों से शुक्रवार को कहा कि म्यांमा के लिए स्वतंत्र जांच निकाय के पास सेना के शासन के बाद से करीब दो लाख पत्र आए हैं और निकाय ने सबूत के तौर पर करीब 15 लाख वस्तुओं को एकत्र किया है व इनका विश्लेषण किया जा रहा है। स्वतंत्र जांच निकाय के अध्यक्ष कोउमजियान ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ‘ एक दिन म्यांमा में अति गंभीर अतंरराष्ट्रीय अपराध के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जा सके।’’

उन्होंने जोर दिया कि म्यांमा में आम लोगों के खिलाफ बड़े पैमाने और व्यवस्थागत तरीके से अपराध किया गया। निकोलस ने बताया कि जांचकर्ताओं ने हिंसा की परिपाटी देखी है। सत्ता पर कब्जा करने के शुरुआती छह सप्ताह या उससे थोड़ा बाद सुरक्षाबलों ने नपी-तुली कार्रवाई की, ‘‘ उसके बाद हिंसा में वृद्धि हुई है और प्रदर्शनों को दबाने के लिए और अधिक हिंसक तरीकों को अपनाया गया।’’

निकोलस ने कहा, ‘‘यह अलग-अलग स्थानों पर एक ही समय हुआ, जो हमें इस निष्कर्ष पर पहुंचाता है कि केंद्रीय नीति के तहत यह कार्रवाई की गई। इसके साथ ही हमने देखा कि विशेष समूहों को निशाना बनाया गया खासतौर पर गिरफ्तारी और हिरासत में लेने के लिए और इस दौरान कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया। इसके शिकार होने वाले लोगों में निश्चित तौर पर पत्रकार, चिकित्सा कर्मी और राजनीतिक विरोधी शामिल थे।’’

गौरतलब है कि म्यांमा गत पांच दशक तक सेना के सख्त शासन में रहा है जिसकी वजह से वह अंतरराष्ट्रीय मंच से अलग-थलग रहा और उसपर पाबंदी लगाई गई। वर्ष 2015 में शांति की नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की सत्ता में आईं और उनके सत्ता में आने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने देश पर लगी कई पाबंदियों को हटा दिया और निवेश बढ़ा। वर्ष 2020 के नवंबर में हुए आम चुनाव में सूकी की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को फिर बड़ी जीत हासिल हुई लेकिन सेना ने नतीजों को मानने से इनकार कर दिया और इस साल एक फरवरी को उनकी सरकार का तख्ता पलट दिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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