लोकमत विशेष: इटली में लॉकडाउन खुला लेकिन सहमी हुई है जिंदगी, रोम के मशहूर डॉक्टर ने बताया, कोरोना ने कितनी मचाई तबाही
By शीलेष शर्मा | Published: May 21, 2020 07:08 AM2020-05-21T07:08:15+5:302020-05-21T07:08:15+5:30
रोम के मशहूर अस्पताल पॉलीक्लिनिको में तैनात डॉक्टर लुईगी टोटा ने लोकमत से खास बातचीत की है। जिसमें उन्होंने में वहां के लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के बाद के हालातों के बारे में जिक्र किया है।
नई दिल्ली: चीन के वुहान के बाद सबसे पहले मौत का तांडव मचाने कोविड-19 जब इटली पहुंचा और उसने लोगों की जिंदगी को निगलना शुरू किया, तब रोम में बैठी सरकार समझ ही नहीं पाई कि कोविड-19 का तांडव फैशन के लिए विख्यात इटली के आर्थिक शहर मिलान में शुरू हो चुका है. फरवरी के पहले सप्ताह में कोविड-19 ने मिलान और वेनिस में दस्तक दे दी थी उसके बाद कोविड-19 इतनी तेजी से आगे बड़ा कि पूरा तंत्र चरमरा गया. अस्पतालों में जगह कम पड़ने लगी, डॉक्टरों को भी कोविड-19 ने अपनी चपेट में ले लिया,वेंटिलेटर,पीपीई किट, मास्क ढूंढने से नहीं मिल रहे थे.
दुनिया में दूसरे नंबर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बावजूद इटली निरीह बना हुआ था,लेकिन मंगलवार को 19 मई को 2 महीने एक सप्ताह और दो दिन के बाद इटली के प्रधानमंत्री गिउसेप्पे कांटे ने लॉकडाउन खोल दिया, जिसकी घोषणा उन्होंने 9 मार्च 2020 को उस समय की जब कोविड-19 से मारे गए लोगों को दफनाने के लिए पूरी इटली में जगह कम पड़ने लगी.
लॉकडाउन खुलने से वायरस के लौटने का खतरा बना हुआ
यह खुलासा रोम के मशहूर अस्पताल पॉलीक्लिनिको में तैनात डॉक्टर लुईगी टोटा ने लोकमत से खास बातचीत में किया. डॉक्टर लुईगी बताते हैं कि मंगलवार से रोम सहित सभी शहरों में लॉकडाउन खोला गया लेकिन 32 हजार से अधिक अपने लोगों को खोने के बाद हम सहमे हुए हैं कि कहीं फिर कोविड-19 का कहर शुरू न हो जाए. हमको अभी दो सप्ताह तक पैनी नजर रखनी है कि लॉकडाउन खुलने से कहीं यह वायरस लौट कर तो हमला नहीं करता है.
डॉक्टर लुईगी टोटा ने कहा, रोम में पब, होटल, रेस्त्रा,दुकानें खुलनी शुरू हुई हैं, लेकिन पर्यटन जो यहां की जीडीपी में बड़ा योगदान देता है, उसे नहीं खोला गया है. यह सही है कि यूरोपीय संघ का इटली पर दबाव है कि पर्यटन को खोला जाए परंतु अपने लोगों को जीवित रखना हमारी पहली प्राथमिकता है. मैंने अपने अस्पताल में वह मंजर देखा है, जब हमको यह तय करना पड़ रहा था 10 कोविड-19 संक्रमितों में किन दो को बचाया जाए. उस समय के हालात और संसाधनों के रहते हमारे लिए यह संभव नहीं था कि हम सभी को वेंटिलेटर ,ऑक्सीजन आदि एक साथ दे सकें. 6 करोड़ लोगों को हमारे देश में क्वारंटाइन कर दिया गया, दिन -रात चलने वाली सड़कें वीरान दिखने लगीं, केवल एंबुलेंस के सायरन की आवाज एकांत को चीरती सुनाई देती थी और हम डॉक्टर दिन रात अस्पताल में गुजार रहे थे. लेकिन अब जिंदगी लौटती दिख रही है. यह खुशी क्या यह कोविड-19 महामारी रहने देगी, सभी की निगाहें इसी पर टिकी हैं.