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Coronavirus:अमेरिका में लोगों तक सामान पहुंचाने की सप्लाई चेन सक्रिय रखने के लिए सेना ने शुरू की ड्रील, इंग्लैंड में साबुन तक गायब

By संतोष ठाकुर | Updated: March 25, 2020 14:09 IST

अमेरिका में सेना ने अपनी ड्रील शुरू कर दी है। वह यह देख रहे हैं कि आपातस्थिति में किस तरह से लोगों तक सामान पहुंचाने की सप्लाई चेन पूरी तरह से सक्रिय रहे।

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ठळक मुद्देन्यूयॉर्क में तो स्थिति सबसे खराब है क्योंकि यहां पर दुनिया से लोग आते हैं। अमेरिका में भी स्टोर से सामान गायब हो गए हैं। लोग स्टोर के बाहर लाइनों में लगे हुए हैं।

ओहियो व लंदन:कोरोना वायरस के डर से अमेरिका और इंग्लैंड के लोग पूरी तरह से भयभीत हैं। भारत की तरह ही यहां पर भी जरूरी सामान बाजारों से गायब है और स्टोरों के बाहर लंबी लाइन लगी हुई है। लोग यह समझने में असमर्थ हो रहे हैं कि आने वाले दिनों में क्या होगा। आपात जैसी स्थिति का माहौल सभी जगह बना हुआ है। 

हालांकि, लोग संयमित हैं और उन्हें लग रहा है कि आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य हो सकती है। लेकिन यह कब होगा इसको लेकर कोई भी निश्चित रूप से बताने में असमर्थ है। स्वयं सरकार के स्तर पर भी स्थिति को नियंत्रण में आने को लेकर कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई जा रही है। जिससे अनिश्चितता बढ़ रही है।

इंग्लैंड जैसा ही हाल अमेरिका का भी है। अमेरिका में भी स्टोर से सामान गायब हो गए हैं। लोग स्टोर के बाहर लाइनों में लगे हुए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो जीवन किस तरह से आगे बढ़ेगा। डिज्नीलैंड, लॉस वेगास, न्यूयॉर्क जैसे शहर पूरी तरह से लॉक डाउन हैं। न्यूयॉर्क में तो स्थिति सबसे खराब है क्योंकि यहां पर दुनिया से लोग आते हैं। 

अमेरिका में सेना ने अपनी ड्रील शुरू कर दी है। वह यह देख रहे हैं कि आपातस्थिति में किस तरह से लोगों तक सामान पहुंचाने की सप्लाई चेन पूरी तरह से सक्रिय रहे। इसके लिए देश में बंद पड़े एयरस्ट्रीप को भी अस्थाई तौर पर खोल दिया गया है। सरकार सक्रिय है और दूसरी ओर जनता भी अप्रिय स्थिति को लेकर तैयारी कर रही है। लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है।

इंग्लैंड में भी स्थिति दुनिया के अन्य मुल्कों की तरह ही बनी हुई है। टॉयलेट पेपर बाजार से गायब हो गए हैं। स्टोर में भीड़ लगी हुई है। यहां तक की टॉयलेट शोप तक गायब हो गए हैं। सैनेटाइजर और साबुन तक कई गुणा कीमत पर मिल रहे हैं। आवश्ययक वस्तुओं के दाम तो स्थिर हैं लेकिन वह मिल नहीं रहे हैं। अगर कोई जरूरी सामान बेच रहा है तो वह उसके लिए एमआरपी से अधिक राशि तक मांग रहा है। जबकि सरकार जमाखोरी और मुनाफाखोरी को लेकर निर्देश जारी कर चुकी है। सड़क वीरान है और सभी कार्यालय लगभग बंद है।

(नोट : जैसा कि अवतार सैनी ने अमेरिका से और जसकरन सिंह ने इंग्लैंड से लोकमत समूह के डिप्टी एडिटर संतोष ठाकुर को बताया)

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