चीनी वैज्ञानिकों का रिसर्च में दावा, कोरोना वायरस की शुरुआत भारत में हुई और फिर ये पूरी दुनिया में फैला
By विनीत कुमार | Published: November 28, 2020 08:02 AM2020-11-28T08:02:22+5:302020-11-28T08:46:25+5:30
चीन कोरोना वायरस के स्रोत को लेकर लगातार दुनिया में भ्रम की स्थिति पैदा करने में जुटा है। हालांकि, अब तक उसकी कोशिश नाकाम होती रही है। अब इस बार फिर चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस का स्रोत भारत को बताया है।
कोरोना वायरस के लिए दुनिया भर के देशों से आलोचना झेल रहा चीन अब इसे लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश में जुटा है। दरअसल, कुछ चीन शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना वायरस की शुरुआत भारत में हुई और फिर ये पूरी दुनिया में फैला। इससे कुछ दिन पहले चीन की सरकार ने कहा था वुहान से फैली ये बीमारी इटली और अन्य देशों में पहले ही फैल चुकी थी।
डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार चाइनीच एकेडमी ऑफ साइंसेस के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ये कहा है कि संभवत: भारत में पिछले साल 2019 की गर्मियों में कोरोना वायरस की शुरुआत हुई। इनके अनुसार ये दूषित पानी की वजह से जानवरों से इंसानों में आया होगा और फिर ये वुहान पहुंच गया होगा, जहां पहली बार इसकी पहचान की गई।
वैज्ञानिक बता रहे हैं चीन के दावे को गलत
चीनी वैज्ञानिकों के भारत में कोरोना वायरस के पैदा होने के दावे को दुनिया के अन्य वैज्ञानिकों से चुनौती मिलने लगी है। ग्लास्गो यूनिवर्सिटी के डेविड रोबर्टसन ने चीनी वैज्ञानिकों के पूरे रिसर्च पेपर में कई खामियां बताई और कहा कि इससे हमारी कोरोना वायरस के बारे में कोई समझ नहीं बढ़ती है।
चीन की ओर से ये दावे उस समय किए जा रहे हैं जब भारत के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इससे पहले चीन कोरोना वायरस के इटली और अमेरिका तक में शुरू होने के दावे कर चुका है। इसके अलावा चीन ग्रीस, सर्बिया, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भी जिम्मेदार ठहरा चुका है। हालांकि दुनिया ने उसके इन तर्कहीन दावों को अस्वीकार करती रही है।
चीन ने कैसे भारत को बताया जिम्मेदार
कोरोना की शुरुआत कैसे हुई, इसे लेकर अभी भी रिसर्च जारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी शुरुआती सोर्स को लेकर अपनी कोशिशें जारी रखे हुए है। हालांकि, ये सबूत जरूर मिल हैं कि कोरोना की शुरुआत चीन से ही हुई।
बहरहाल, अपने रिसर्च में चीनी वैज्ञानिकों ने फिलोजेनेटिक एनालिसिस का तरीका अपनाया है। इससे कोरोना वायरस के म्यूटेट होने के तरीके का अध्ययन किया जाता है। वायरस दरअसल हर बार पैदा होने पर म्यूटेट करते हैं। इसके मायने ये हुए उनके डीएनए में कुछ बदलाव हमेशा आते रहते हैं।
इसलिए वैज्ञानिकों का दावा है कि सबसे कम म्यूटेट हुए वायरस का पता लगाकर ये मालूम किया जा सकता है कि कोरोना वायरस कहां से शुरू हुआ होगा।
चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार अगर इस तरीके को अपनाएं तो वुहान को कोरोना का असल स्रोत कहना ठीक नहीं होगा और इसका संभावित सोर्स बांग्लादेश, अमेरिका, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, भारत, इटली, चेक गणराज्य, रूस या सर्बिया हो सकते हैं।
भारत और बांग्लादेश में कम म्यूटेशन
चीनी शोधकर्ताओं की दलील है कि भारत और बांग्लादेश में सबसे कम म्यूटेशन वाले नमूने मिले हैं और ये चीन के पड़ोसी देश भी हैं। इसलिए ऐसा संभव है कि सबसे पहला संक्रमण वहीं हुआ हो। चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोरोना वायरस जुलाई या अगस्त में 2019 में पहली बार फैला होगा।
चीनी वैज्ञानिक अपनी इस रिसर्च में ये भी कहते हैं कि मई से जून 2019 तक भारत-पाकिस्तान में काफी गर्मी थी और क्षेत्र में पानी की कमी हुई होगी। इससे जंगली जानवरों जैसे बंदर पानी के लिए एक-दूसरे से लड़े होंगे और इससे मानवों के साथ उनका संपर्क भी हुआ होगा। इस असामान्य गर्मी के बीच इंसान और जानवरों के लिए पानी के एक ही स्रोत होंगे। यही से जानवरों से इंसानों में कोरोना गया होगा।
चीनी वैज्ञानिक ये भी दावा करते हैं कि भारत के खराब स्वास्थ्य सिस्टम और युवा आबादी की वजह से यह बीमारी कई महीनों तक बिना पहचान के फैलती रही। उन्होंने दावा किया कि चीन में कोरोना वायरस आने से पहले ये कई और देशों में भी पहुंच गया होगा। चीनी शोधकर्ताओं के अनुसार इसलिए वुहान कोरोना महामारी का केवल एक हिस्सा भर है।