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काबुल में पहली 'विस्तारित त्रोइका' बैठक के रूसी प्रस्ताव पर चीन की सकारात्मक प्रतिक्रिया

By भाषा | Updated: September 2, 2021 17:10 IST

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चीन ने अफगानिस्तान के संबंध में विस्तारित ‘त्रोइका’ (त्रिपक्ष) की एक नयी बैठक काबुल में बुलाने के रूसी प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। पिछले महीने तालिबान द्वारा देश की सत्ता पर कब्जा करने के बाद इस तरह का यह पहला सम्मेलन होगा। रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने रूस के उप विदेश मंत्री इगोर मोर्गुलोव के हवाले से कहा कि रूस की योजना वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली के बाद काबुल में अफगानिस्तान पर विस्तारित ‘त्रोइका' की एक नयी बैठक बुलाने की है। मोर्गुलोव ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि हमें अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से तत्काल स्थायित्व के लिए योगदान देना चाहिए। इसके लिए, हम स्थितियाों के अनुकूल होते ही काबुल में विस्तारित त्रोइका की एक नयी बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं, जिसमें रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान शामिल हैं। मैं मुख्य रूप से वाणिज्यिक नागरिक विमानों की उड़ानों के लिए काबुल हवाई अड्डे के संचालन को फिर से शुरू करने का उल्लेख करता हूं।’’तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मंगलवार को मीडिया को बताया था कि काबुल हवाई अड्डे को आम लोगों के लिए फिर से खोलने के प्रयास जारी हैं। रूसी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान की बदलती स्थिति पर चीन और रूस करीबी संपर्क बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा, "अफगान मुद्दे के उचित हल के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी और समर्थन की जरूरत है।"उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान को लेकर कई तंत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएं हैं और वे एक दूसरे की पूरक हैं। चीन अफगान मुद्दे पर संबंधित पक्षों के साथ करीबी समन्वय बनाए हुए है।" उन्होंने कहा, "चीन और रूस के बीच सभी स्तरों पर घनिष्ठ रणनीतिक संचार समन्वय है। नयी परिस्थितियों में, चीन अफगानिस्तान और काबुल में स्थिति को सामान्य बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करता रहेगा।" इससे पहले विस्तारित ‘त्रोइका’ की बैठक 11 अगस्त को कतर में हुई थी। इस प्रारूप के तहत वार्ता पहले 18 मार्च और 30 अप्रैल को हुई थी। करीब दो दशक तक चले खर्चीले युद्ध के बाद अमेरिकी सैनिकों की अगस्त के आखिर में वापसी की अंतिम तारीख से 15 दिन पहले ही तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर संयुक्त अरब अमीरात चले गए। अमेरिका के लिए यह बिल्कुल नयी स्थिति है क्योंकि ‘त्रोइका’ की बैठक से पहले न केवल तालिबान ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया है बल्कि अमेरिकी सैनिकों को, काबुल हवाई अड्डे पर देश छोड़ कर जाने के लिए एकत्र अफगान लोगों की भीड़ के बीच, जल्दबाजी में वापस बुलाना पड़ा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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