गलवान घाटी: चीन के रक्षा मंत्रालय ने बोला- सीमा पर तनाव के लिए पूरी तरह से है भारत जिम्मेदार
By पल्लवी कुमारी | Updated: June 24, 2020 15:10 IST2020-06-24T15:10:41+5:302020-06-24T15:10:41+5:30
भारत-चीन सीमा विवाद: पूर्वी लद्दाख में सीमा के पास स्थिति उस वक्त बिगड़ गई थी जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देश की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हो गई और घटना के बाद दोनों पक्ष 3,500 किलोमीटर की सीमा के अधिकतर क्षेत्रों में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने लगे।

Wu Qian (File Photo) Spokesperson for the China Ministry Ministry of National Defense (MND)
बीजिंग: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बने सीमा विवाद पर चीन के रक्षा मंत्रालय ने बयान दिया है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष के लिए पूरी तरह से भारत जिम्मेदार है। चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (MND) के प्रवक्ता वू किआन ने कहा, चीन-भारत सीमा संघर्ष की के लिए पूरी तरह से भारत ही जिम्मेदार है। बुधवार (24 जून) को चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू किआन ने कहा कि हम आशा करते हैं कि सीमाई इलाकों शांति और स्थिरता बनी रहेगी।
चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (MND) के प्रवक्ता वू किआन ने कहा कि भारत ने एकतरफा कार्रवाई की जिसकी वजह से हिंसा और झड़प हुई है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू किआन का ये पूरा बयान वहां के सरकारी न्यूज चैनल CGTN पर छपी है। इस न्यूज चैनल को पहले सीसीटीवी -9 और सीसीटीवी न्यूज के नाम से जाना जाता है। CGTN चैनल का दफ्तर बीजिंग में स्थित है और यह एक अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा का समाचार चैनल है, जिसका स्वामित्व चीन के केंद्रीय टेलीविजन और राज्य-नियंत्रित प्रसारक के पास है।
भारत को पूरी तरह से सीमा तनाव को जिम्मेदार ठहराने वाला चीन की ओर यह बयान उस वक्त आया है, जब एक दिन पहले ही 23 जून को भारत और चीन के बीच सेनाओं को पीछे करने पर सहमति बनी थी।
पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से हटने पर सहमत हुई भारत और चीन की सेना
भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से ''हटने पर परस्पर सहमति'' बन गई है। सैन्य सूत्रों ने मंगलवार (23 जून) को बताया था कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद सीमा पर दोनों देशों के बीच बढ़े विवाद के बीच यह महत्त्वपूर्ण कदम है।
पूर्वी लद्दाख में पिछले छह हफ्तों से चल रहे गतिरोध में उलझे बलों को पीछे हटाने का फैसला सोमवार (22 जून) को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोलदो में भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडरों के बीच करीब 11 घंटे चली बैठक में लिया गया है। सूत्रों ने लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर हुई दूसरी बैठक का ब्योरा देते हुए बताया कि वार्ता ''सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल'' में हुई और यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर तरीकों को अमल में लाएंगे। एक सूत्र ने कहा,''पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी है। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से हटने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई और दोनों पक्ष इसे अमल में लाएंगे।''
जानें कब से चल रहा है भारत-चीन सीमा विवाद
पिछले छह हफ्ते से पैंगोंग सो, गलवान घाटी, गोगरा हॉट स्प्रिंग और कई अन्य स्थानों पर चीन और भारत की सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहली वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गलवान घाटी में टकराव वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर सहमत हुए थे। लेकिन 15 जून को गलवान घाटी में झड़प के बाद स्थिति बिगड़ती चली गयी और दोनों पक्ष 3,500 किलोमीटर की सीमा के अधिकतर क्षेत्रों में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने लगे।
छह जून और 22 जून को हुई भारत-चीन के सैन्य कमांडरों की दोनों बैठकों के आयोजन का अनुरोध चीनी सेना की तरफ से किया गया था। पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई थी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच और छह मई को हिंसक झड़प हुई। पैंगोंग सो के बाद उत्तरी सिक्किम में नौ मई को झड़प हुई। झड़प के पहले दोनों पक्ष सीमा मुद्दों का अंतिम समाधान होने तक सीमाई इलाके में अमन-चैन बनाए रखने पर जोर दे रहे थे।

