अफगानिस्तान में चीन की चाल, तालिबान ने कहा-चाइना से पैसे लेंगे, तांबे सहित सभी खनिज संपदा चीनी कंपनी को देंगे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 3, 2021 16:38 IST2021-09-03T16:36:39+5:302021-09-03T16:38:33+5:30

15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद अमेरिकी वित्तीय सेवा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने अफगानिस्तान में अपना कामकाज बंद कर दिया।

China's Afghanistan Taliban said China is our most important partner take money all mineral wealth including copper to Chinese company | अफगानिस्तान में चीन की चाल, तालिबान ने कहा-चाइना से पैसे लेंगे, तांबे सहित सभी खनिज संपदा चीनी कंपनी को देंगे

अफगानिस्तान व्यापक स्तर पर भूख और आर्थिक बदहाली की आशंका का सामना कर रहा है।

Highlightsसंकटग्रस्ट देश में लोग रोजाना सैकड़ों की संख्या में बैंकों के बाहर नकदी निकालने के लिए लाइन लगा रहे हैं।एक दिन की धन निकासी सीमा 200 डॉलर तय है।एटीएम मशीनें काम नहीं कर रही हैं।

पेशावरः अफगानिस्तान पर लगभग तालिबान ने कब्जा कर लिया है। पड़ोसी देश चीन ने नई चाल चल दी है। चीन ने कहा कि हम हर स्तर पर तालिबान सरकार को मदद करेंगे। कल चीन के मंत्री से तालिबान प्रवक्ता ने कई मुद्दे पर बात की।

अफगान तालिबान ने चीन को अपना 'सबसे महत्वपूर्ण साझेदार' बताते हुए कहा है कि उसे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और तांबे के उसके समृद्ध भंडार का दोहन करने के लिए चीन से उम्मीद है। युद्ध से परेशान अफगानिस्तान व्यापक स्तर पर भूख और आर्थिक बदहाली की आशंका का सामना कर रहा है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि समूह चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल का समर्थन करता है जो बंदरगाहों, रेलवे, सड़कों और औद्योगिक पार्कों के विशाल नेटवर्क के जरिए चीन को अफ्रीका, एशिया और यूरोप से जोड़ेगी।

जियो न्यूज ने मुजाहिद के हवाले से कहा, "चीन हमारा सबसे महत्वपूर्ण साझेदार है और हमारे लिए एक मौलिक और विशेष अवसर पेश करता है क्योंकि यह हमारे देश में निवेश और पुनर्निर्माण के लिए तैयार है।" मुजाहिद ने बृहस्पतिवार को एक इतालवी अखबार को दिए साक्षात्कार में यह टिप्पणी की। मुजाहिद ने कहा, "देश में तांबे की समृद्ध खदानें हैं, जो चीनियों की मदद से वापस संचालित हो सकती हैं। इसके अलावा, चीन दुनिया भर के बाजारों के लिए हमारा रास्ता है।"

चीन तालिबान के प्रति कुछ सकारात्मक बयान देता रहा है और उसने उम्मीद जतायी है कि विद्रोही उदार और विवेकपूर्ण घरेलू और विदेशी नीतियों का पालन करेंगे, सभी प्रकार के आतंकवाद का मुकाबला करेंगे, अन्य देशों के साथ सद्भाव से रहेंगे तथा अपने लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे। मुजाहिद ने कहा कि तालिबान क्षेत्र में रूस को भी एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है और वह रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेगा।

अफगानिस्तान में अपना कामकाज बहाल करेगी वेस्टर्न यूनियन : तालिबान

तालिबान ने कहा है कि वेस्टर्न यूनियन अफगानिस्तान में अपना कामकाज फिर से शुरू करेगी। इससे नकदी की कमी का सामना कर रहे देश में विदेशी धन के प्रवाह का एक दुर्लभ माध्यम खुल जाएगा। समूह के सांस्कृतिक आयोग के प्रवक्ता अहमदुल्ला मुत्ताकी ने शुक्रवार को इस फैसले की घोषणा की।

हमें कश्मीर समेत हर जगह मुस्लिमों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है: तालिबान

तालिबान के शासन तले अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किए जाने की आशंका के बीच समूह ने कहा है कि उसे कश्मीर समेत हर कहीं मुस्लिमों के पक्ष में बोलने का अधिकार है। हालांकि उसने कहा कि उसकी किसी भी देश के खिलाफ ‘सशस्त्र अभियानों’ को अंजाम देने की नीति नहीं है।

दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने बृहस्पतिवार को वीडियो लिंक के जरिए बीबीसी को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम आवाज उठाएंगे और कहेंगे कि मुस्लिम आपके अपने लोग हैं, आपके अपने नागरिक और उन्हें आपके कानून के तहत समान अधिकार मिलने चाहिए।’’

शाहीन ने कहा कि मुस्लिम होने के नाते यह समूह का अधिकार है कि वह कश्मीर तथा किसी भी अन्य देश में रह रहे मुस्लिमों के लिए आवाज उठाए। अमेरिका के साथ दोहा समझौते की शर्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ‘‘किसी भी देश के खिलाफ सशस्त्र अभियान करने की कोई नीति नहीं है।’’ कुछ दिन पहले नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के अनुरोध पर दोहा में उसके राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की।

उन्होंने भारत की उन चिंताओं को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा था, ‘‘हमारा ध्यान इस बात पर है कि अफगान धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और किसी भी तरह के आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए और तालिबान को मान्यता देने की संभावनाओं के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’’

मित्तल की स्तानिकजई से मुलाकात के बारे में एक सवाल के जवाब में बागची ने कहा था, ‘‘हमने अपनी चिंताओं से अवगत करवाने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया, चाहे यह लोगों को अफगानिस्तान से निकालने से संबंधित हों या भी आतंकवाद के बारे में हो। हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।’’

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