जानें क्यों चीन में गिराई जा रही हैं मस्जिदें और मुसलमानों पर ढाया जा रहा है कहर
By पल्लवी कुमारी | Updated: September 23, 2019 20:21 IST2019-09-23T20:21:30+5:302019-09-23T20:21:30+5:30
चीन में पहले से ही उइगर को इस्लाम धर्म का सही से पालन नहीं करने दिया जाता है। इनके रोजा रखने, दाढ़ी रखने और मस्जिद जाने यहां तक की बच्चों के इस्लामिक नाम रखने पर भी प्रतिबंध लगाये गये हैं। जो और भी ज्यादा व्यापक रूप ले रहा है।

जानें क्यों चीन में गिराई जा रही हैं मस्जिदें और मुसलमानों पर ढाया जा रहा है कहर
चीन में लंबे समय से उइगर मुसलमानों के साथ होने वाले अत्याचार और भी बढ़ गये हैं। चीन के उत्तरपश्चिम में इलाकों में अधिकारियों ने मस्जिदों, गुंबदों और मीनारों को तोड़फोड़ कर नष्ट कर दिया है। इस इलाके में अधिकांश लोग मुस्लिम निवासी हैं। जिसमें लिनेक्सिया के पास बसा एक छोटा सा गांव भी शामिल है। जिसे "लिटिल मक्का" के नाम से जाना जाता है। चीन के अधिकारियों द्वारा की गई तबाही का सबसे ज्यादा असर वहां देखा जा सकता है। चीन के सबसे बड़े मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक इलाके इनर मंगोलिया, हेनान और निंगक्सिया में भी इसी तरह की तोड़फोड़ की गई है। दक्षिणी प्रांत युन्नान में तीन मस्जिदें बंद कर दी गईं।
इतना ही नहीं बीजिंग से निंग्जिया तक, अधिकारियों ने अरबी लिपि के सार्वजनिक उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार शिनजियांग प्रांत के उइगर मुसलमानों को कट्टर मानती है और हजारों उइगरों को कट्टरपन से बाहर निकालने के लिये 'व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र' चला रही है। चीन ऐसा इसलिए कर रही है ताकी उइगरों में और भी ज्यादा भय पैदा किया जा सके।
वहीं कुछ दिनों पहले चीन के अशांत शिनजियांग प्रांत में बुर्का पहनना या "अवैध" इस्लामी वीडियो देखने पर भी प्रतिबंध था। शिनजियांग के अस्कू प्रांत की उइगर मुसलमान मेहरबान शिमिह (28) को बुर्का पहनने के लिये जून 2018 से वेन्सु काउंटी के व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र में रखा गया है।
चीन में पहले से ही उइगर को इस्लाम धर्म का सही से पालन नहीं करने दिया जाता है। इनके रोजा रखने, दाढ़ी रखने और मस्जिद जाने यहां तक की बच्चों के इस्लामिक नाम रखने पर भी प्रतिबंध लगाये गये हैं। जो और भी ज्यादा व्यापक रूप ले रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन में उइगर मुसलमानों के साथ जो बर्ताव किया जा रहा था, वो और भी अधिक समूहों के साथ किया जा रहा है। चीन में यह अभियान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से चलाया जा रहा है।
चीन का कहना है कि वह उइगरों पर भरोसा नहीं करते हैं। चीन उइगरों के इस्लामिक पहचान को खत्म करना चाहता है। उइगर के ज्यादातर लोग इस्लाम मानते हैं। इनकी बोली तुर्की है। सरहद पार के कजाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों में भी काफी उइगर रहते हैं। चीन का कहना है कि उइगर का आतंकवाद से भी संबंध है।